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त्रासद. पत्नी, बेटा व बेटी की मौत के बाद गहरे सदमे में है ढेना मुर्मू, तीन मौत के बाद मिला मदद का आश्वासन

पालोजोरी: गरीबी व प्रशासन की बेरुखी की दोहरी मार के कारण पत्नी व दो बच्चे गंवाने वाले ढेना मुर्मू गंभीर सदमे में है. वह अपनी लाचारी और बेबसी का रोना रो रहा है. ढेना को इस बात का मलाल है कि यदि उसे समय पर प्रशासन से मदद मिली होती,तो आज उसकी पत्नी, पुत्र व […]

पालोजोरी: गरीबी व प्रशासन की बेरुखी की दोहरी मार के कारण पत्नी व दो बच्चे गंवाने वाले ढेना मुर्मू गंभीर सदमे में है. वह अपनी लाचारी और बेबसी का रोना रो रहा है. ढेना को इस बात का मलाल है कि यदि उसे समय पर प्रशासन से मदद मिली होती,तो आज उसकी पत्नी, पुत्र व बेटी शायद जिंदा होती. मंगलवार दोपहर बाद ढेना मुर्मू ने परिजनों के साथ फफकते हुए साल भर की बेटी का अंतिम संस्कार किया. परिवार के नाम पर अब एक पुत्र नोवेन व पुत्री सबिता ही बची है.
ढेना की फटेहाल स्थिति उसकी दशा बयां करती है. बदन ढंकने के लिए उसके पास ठीक कपड़े हैं. बच्चे भी पुराने कपड़ों के सहारे दिन गुजार रहे हैं. घर की हालत इस कदर दयनीय हो चुकी है कि अनाज के लाले पड़े हुए हैं. ढेना की पथराई आंखें इस बात का सबूत है कि कैसे सरकारी योजनाएं धरातल पर आते-आते दम तोड़ देती हैं. महज एक पखवारे में ढेना जैसे गरीबों की दुनिया अन्न के अभाव में उजड़ जाती है.
तीन मौत के बाद जागा प्रशासन
ढेना की बच्ची की कुपोषण से मौत के बाद प्रशासन हरकत में आया. अब उसे बीपीएल में नाम नहीं रहने के बावजूद विशेष कोटि के तहत इंदिरा आवास दिया जा रहा है. साथ ही राशन कार्ड बना कर उसे प्रत्येक माह अनाज उपलब्ध कराये जाने का भी इंतजाम किया गया है. ढेना के दोनों बच्चों का नामांकन सरकारी आवासीय विद्यालय में कराने की पहल प्रशासन की ओर से की गयी है. लेकिन यह सब पहले क्यों नहीं हुआ ? यह सवाल अब भी अनुत्तरित है.
अब तक 126 बच्चे की हुई भरती
सीएचसी का उदघाटन 6 नवंबर 2013 को हुआ था. इस दौरान 22 माह में इस सेंटर में कुल 126 कुपोषित बच्चों की भर्ती कराई गई. जिसमें फरवरी माह 2014 में 10, मार्च में 2, अप्रैल में 4, मई में 2, जून में 5, जुलाई में 7, अगस्त में 20, सितंबर में 8, अक्तूबर में 2, नवम्बर में 6, दिसंबर में 2, वहीं 2015 के फरवरी मेंं 6, मार्च में 5, अप्रैल में 10, मई में 3, जून में 10 जुलाई में 7, सितंबर में 7 बच्चे भर्ती कराये गये थे. जबकि इस केन्द्र में कुपोषित बच्चों के ईलाज हेतु 10 बेड का प्रावधान है.

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