देवघर : ट्रैफिक थाने में कार्यरत हवलदार धर्मेंद्र कुमार सिंह द्वारा छिपकर पैसा लेते हुए वीडियो वायरल होने के मामले में मुख्यमंत्री के निर्देश पर हवलदार को निलंबित कर दिया गया. वहीं कुछ ही घंटे में मामले की जांच के बाद हवलदार को क्लिन चीट भी दे दी गयी. दरअसल, इस मामले की शिकायत मुकेश कुमार नामक युवक ने ट्विटर पर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से की थी.
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पैसे लेते वीडियो वायरल मामले में हवलदार सस्पेंड, जांच में क्लीन चिट
देवघर : ट्रैफिक थाने में कार्यरत हवलदार धर्मेंद्र कुमार सिंह द्वारा छिपकर पैसा लेते हुए वीडियो वायरल होने के मामले में मुख्यमंत्री के निर्देश पर हवलदार को निलंबित कर दिया गया. वहीं कुछ ही घंटे में मामले की जांच के बाद हवलदार को क्लिन चीट भी दे दी गयी. दरअसल, इस मामले की शिकायत मुकेश […]
मुख्यमंत्री ने मामले को गंभीरता से लेते हुए देवघर डीसी सहित देवघर पुलिस को ट्विटर पर कार्रवाई का निर्देश दिया. मुख्यमंत्री के निर्देश के आलाेक में एसपी नरेंद्र कुमार सिंह ने दोषी हवलदार धर्मेंद्र को निलंबित करते हुए एसडीपीओ विकास चंद्र श्रीवास्तव को जांच का आदेश दिया. वहीं मामले की एसडीपीओ ने तत्काल जांच कर रिपोर्ट भी एसपी को सौंप दी है.
एसडीपीओ ने पैसा देने वाले को बुलवाकर पूछताछ की है, जिसकी वीडियो क्लिप भी रिपोर्ट में संलग्न कर एसपी को भेजी गयी है. जांच में हवलदार धर्मेंद्र को क्लीन चिट मिल गयी है. उक्त वीडियो छह फरवरी का है. उस दिन पुराना फायर ऑफिस के समीप ट्रैफिक की चेकिंग लगी थी. उक्त चेकिंग में मौजूद एएसआइ सत्येंद्र सिंह व नागेंद्र सिंह को बुलाकर एसडीपीओ ने पूछताछ की. पूछताछ में इन दोनों एएसआइ ने भी हवलदार द्वारा अवैध वसूली किये जाने की जानकारी से अनभिज्ञता प्रकट की.
जांच स्थल के समीप जिस मुर्गा दुकानदार का वीडियो है, उसके दुकानदार संतोष साह ने भी गलत पैसा वसूली की बात से इनकार किया. हवलदार धर्मेंद्र ने जांच अधिकारी एसडीपीओ को दिये बयान में कहा है कि चेकिंग के पूर्व मिस्त्री किशोर कुमार को 500 रुपये देकर बाइक मरम्मत करने दिया था. उसी में 200 रुपये बचा था, जो चेकिंग के दौरान सड़क पर वापस लेते तो लोग गलत आरोप लगा देते, इसलिए छिपते-छिपाते पैसे लिया.
मिस्त्री किशोर ने एसडीपीओ को दिये बयान में कहा है कि चेकिंग के पूर्व हवलदार ने 500 रुपये देकर बाइक मरम्मत करने दिया था. उनकी बाइक में 300 रुपये का मोबिल बदला था, जिसमें उनका 200 रुपये बच गया. उसी पैसे को उसने वहां आकर वापस किया था. जांच रिपोर्ट में एसडीपीओ ने कहा है कि हवलदार द्वारा अवैध पैसा लेने की पुष्टि नहीं हुई है.
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