मधुपुर : शहर के निजी विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भेड़ बकरी की तरह ऑटो, टोटो, रिक्शा व बस में भरकर विद्यालय ले जाते हैं और लाते हैं. बताया जाता है कि अधिकतर वाहन और विद्यालय के संचालक नियमों को ताख पर रख कर क्षमता से दो-तीन गुणा अधिक बच्चों को वाहनों में बैठा कर ले जाते हैं. इसके अलावा कई विद्यालय के संचालक 10 से 15 साल पुराने वाहनों का प्रयोग विद्यालय लाने ले जाने में करते हैं. इन वाहनों में अत्यधिक धुआं व प्रदूषण छोड़ता है. जिससे बच्चों को सांस लेने में भी परेशानी होती है.
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मधुपुर : स्कूली बच्चों के वाहन नियमों के कच्चे
मधुपुर : शहर के निजी विद्यालय में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को भेड़ बकरी की तरह ऑटो, टोटो, रिक्शा व बस में भरकर विद्यालय ले जाते हैं और लाते हैं. बताया जाता है कि अधिकतर वाहन और विद्यालय के संचालक नियमों को ताख पर रख कर क्षमता से दो-तीन गुणा अधिक बच्चों को वाहनों में बैठा […]
कई बार बच्चों के अभिभावकों ने इस संबंध में विद्यालयों में आपत्ति दर्ज कराया. लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई. परिवहन विभाग व स्थानीय प्रशासन भी इस पर अब तक कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. जिससे अभिभावकों में आक्रोश है. कई बार अभिभावक समय के अभाव में भी बच्चों को ऐसे वाहनों में विद्यालय भेज देते है. ऐसे वाहनों का फिटनेस सर्टिफिकेट भी नहीं होता है और सुरक्षा मापदंडों का भी पालन नहीं करते है.
कहते हैं एसडीओ
एसडीओ योगेंद्र प्रसाद ने कहा कि स्कूली बच्चों को लाने ले जाने वाले वाहनों को सुरक्षा मापदंडों पर खरा होना चाहिए. ऐसे वाहन का खिड़की जालीयुक्त होना चाहिए और जो निजी ऑटो से बच्चों को ले जाते है उसका भी कागजी और सुरक्षा मानक सही होना चाहिए. जो भी मानक में खरी नहीं उतरते है उन पर कार्रवाई की जायेगी.
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