मधुपुर : पिछले कुछ सालों में कई सरकारी स्कूल अपग्रेड किये गये. इसका उद्देश्य स्कूलाें में शिक्षा व्यवस्था सुधार के साथ उसी स्कूल में आगे की भी शिक्षा उपलब्ध कराना था. इस दौरान कई हाइस्कूल प्लस टू में परिणत हो गये, लेकिन यह विडंबना ही है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी उवि में भवन बनकर तैयार होने के बाद भी अबतक स्कूल को प्लस टू का दर्जा नहीं मिल सका है. प्लस टू की शिक्षा देने के उद्देश्य से वर्ष 2002 में 10 लाख की लागत से प्लस टू विद्यालय भवन निर्माण कार्य का शिलान्यास पूर्व विधायक हाजी हुसैन अंसारी ने किया था.
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श्यामा प्रसाद उवि को 16 साल में भी नहीं मिला प्लस टू का दर्जा
मधुपुर : पिछले कुछ सालों में कई सरकारी स्कूल अपग्रेड किये गये. इसका उद्देश्य स्कूलाें में शिक्षा व्यवस्था सुधार के साथ उसी स्कूल में आगे की भी शिक्षा उपलब्ध कराना था. इस दौरान कई हाइस्कूल प्लस टू में परिणत हो गये, लेकिन यह विडंबना ही है कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी उवि में भवन बनकर तैयार […]
इसके बाद भवन बनकर तैयार हो गया. भवन बनने के 16 वर्ष हो जाने के बाद भी इस विद्यालय को प्लस टू का दर्जा नहीं मिला है.
पूर्व में इस विद्यालय एडवर्ड जर्ज उवि के नाम से जाना जाता था. बाद में इसका नाम बदल कर श्यामा प्रसाद मुखर्जी उच्च विद्यालय रखा गया. विद्यालय का नाम तो बदल गया पर इसे आजतक उस दर्जे से दूर रखा गया जिसका यह हकदार है. प्लस टू भवन कभी कभार चुनाव में मतगणना आदि कार्यों में प्रयोग किया जाता रहा है. इस विद्यालय को प्लस टू का दर्जा मिल जाने से विद्यालय में अध्ययनरत सैकड़ों छात्र प्लस टू की शिक्षा विद्यालय में ही ले पाते. पूर्व प्रधानाध्यापक रामचंद्र राम ने प्लस टू का दर्जा के लिए कई बार विभाग को पत्राचार किया. लेकिन, पत्र अधिकारियों के पास कागजों का ढेर बन कर रह गया.
वर्तमान प्रधानाध्यापक ने बताया कि अब तक विद्यालय को प्लस टू का दर्जा नहीं मिला पाया है. विद्यालय को प्लस टू का दर्जा मिल जाने से यहां के छात्रों को अन्यत्र जाना नहीं पड़ता.
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