यही नहीं अपने चहते भंडारी जो मंदिर की परंपरा से पुश्तों से जुड़ा है और पौनदार भी है, उसे भी पूजा का बर्तन साफ करने के पद पर बहाल कर दिया है. जबकि की परंपरा के अनुसार, बाबा मंदिर में कार्यरत पौनेदार पनभरा पूजा का बर्तन आज तक साफ कर रहा है. इसके अलावा पलंबर मिस्त्री के सहायक पर की गयी बहाली भी पूरी तरह से अनुभवहीन की कर दी गयी है.
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मंदिर में कई पदों पर भाई-भतीजावाद
देवघर: बाबा मंदिर में इन दिनों कई पदों पर भाई-भतीजावाद का चर्चा जोरों पर है. मंदिर प्रबंधक पर आरोप लग रहा है कि वे दैनिक वेतनभोगी के तौर पर अपने कई सगे-संबंधियों को बहाल कर दिया है. वहीं एक बात यह भी सामने आ रहा है कि कम वेतन होने के कारण इन पदों पर […]
देवघर: बाबा मंदिर में इन दिनों कई पदों पर भाई-भतीजावाद का चर्चा जोरों पर है. मंदिर प्रबंधक पर आरोप लग रहा है कि वे दैनिक वेतनभोगी के तौर पर अपने कई सगे-संबंधियों को बहाल कर दिया है. वहीं एक बात यह भी सामने आ रहा है कि कम वेतन होने के कारण इन पदों पर दूसरे लोग नहीं आ रहे हैं. मंदिर प्रबंधक पर आरोप है कि वे अपने भाई को उमा भवन के प्रबंधक पद पर, साला को सफाई प्रभारी के सहयोगी के तौर पर और साढ़ू के बेटे को सहायक कंप्यूटर पद पर बहाल कर दिया है.
नियम को तक पर रख कर दी बहाली: बाबा मंदिर में पूर्व से श्रावण व भादो महीने में काम लेने के लिये सफाई कर्मचारी को दो महीने के लिए दैनिक वेतन के तौर पर रखा जाता था. बीते साल तत्कालीन डीसी अरवा राजकमल के कार्यकाल में ही इन सभी को नियम के को ताक पर रख कर बहाली कर दी गयी. इन पदों पर बहाली के लिये न तो कोई इंटरव्यू हुआ, न ही समाचार-पत्रों में किसी तरह का विज्ञापन निकाला गया.इन सभी कर्मचारियों को काम का कोई अनुभव तक नहीं है. ये सभी दिनभर प्रशासनिक भवन में आये वीआइपी को पूजा कराने में लगे रहते हैं और घर चले जाते हैं.
स्थायी कर्मचारियों से अधिक वेतन : मंदिर में कार्यरत स्थायी कर्मचारी मंदिर प्रबंधक काे सबसे अधिक 15 हजार वेतन मिलता है. वहीं न्यूनतम वेतन पलंबर मिस्त्री को छह हजार 900 मिलता है. वहीं दैनिक वेतनभोगी कोे 8200 से 7400 रुपये तक वेतन दिया जा रहा है. इस बात को लेकर स्थायी कर्मचारियों में भी रोष है.
मंदिर से जुड़े लोगों की ही हुई है बहाली : प्रबंधक
पूरे मामले पर मंदिर प्रबंधक रमेश परिहस्त का कहना है कि संबंधियों की बहाली नहीं की गयी है. मंदिर में काम करने लिए मंदिर से जुड़े लोगों को दैनिक वेतन पर रखा गया है. रही बात स्थायीकरण की, तो ऐसा कुछ नहीं है. सभी दैनिक वेतनभोगी ही हैं. आगे श्राइन बोर्ड के निर्णय पर कुछ होगा.
कहते हैं धर्मरक्षिणी के अधिकारी
मंदिर में बहाली का विरोध नहीं है. लोगों की जरुररत हो तो बहाली जरूर हो लेकिन पात्रों का, कुपात्रों का नहीं. रही बात गलत तरीके से बहाली की तो गलत लोगों पर कार्रवाई करते हुए नियम के अनुसार बहाली हो.
– कार्तिक नाथ ठाकुर, महामंत्री पंडा धर्मरक्षिणी सभा
कहते हैं मंदिर प्रभारी
मंदिर प्रभारी बीके झा ने कहा कि बाबा मंदिर में कई बार बहाली के लिये विज्ञापन निकलवाया गया है. लेकिन यहां कम वेतन होने की वजह से लोग नहीं आते हैं. काम चलाने के लिये तत्कालीन मंदिर प्रबंधन बोर्ड के निर्देशानुसार दैनिक वेतन पर लोगों को रखा गया है.
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