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उन्नत कृषि: यूके से आ कर पालोजोरी में दे रहे ट्रेनिंग, सिखा रहे जैविक खेती के गुर

पालोजोरी : अन्तरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था वीएसओ के वॉलेंटियर व नीड्स के प्रतिनिधियों ने पालोजोरी प्रखंड सह अंचल कार्यालय के पास एक कार्यक्रम के माध्यम से क्षेत्र के लोगों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया. इस दौरान वीएसओ यूके व इंडिया के प्रतिनिधियों ने नाटक के माध्यम से रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान के […]

पालोजोरी : अन्तरराष्ट्रीय स्वयंसेवी संस्था वीएसओ के वॉलेंटियर व नीड्स के प्रतिनिधियों ने पालोजोरी प्रखंड सह अंचल कार्यालय के पास एक कार्यक्रम के माध्यम से क्षेत्र के लोगों को जैविक खेती के लिए प्रेरित किया. इस दौरान वीएसओ यूके व इंडिया के प्रतिनिधियों ने नाटक के माध्यम से रासायनिक खेती से होने वाले नुकसान के साथ-साथ जैविक खेती से होने वाले फायदों को बताया. नाटक के माध्यम से यह भी बताया गया कि जैविक खेती कैसे आने वाले दिनों में लोगों के लिए जरूरी होगी.

आने वाले दिनों में लोगों को जैविक खेती की ओर लौटना होगा. यह बताया कि जैविक खेती के माध्यम से किसान कम मेहतन व लागत में ही बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. यह भी कहा कि जैविक खेती में प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर खेती की जाती है. वहीं कार्यक्रम का उद्घाटन करते अंचलाधिकारी पंकज कुमार ने भी उपस्थित लोगों को ऑर्गेनिक खेती के बारे में विस्तार से जानकारी दी.

कहा कि वह दिन दूर नहीं जब किसान भाई इस पुरानी पद्धति को ही अपना कर बेहतर पैदावार करेेंगे. इस अवसर पर वीएसओ की प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर पल्लवी सैकिया, वॉलेंटियर तमन्ना अरोड़ा, जैमी जिग्गा, निशांत कुमार, अमल संतोष, सूरज सादा, एरिक जॉन के साथ-साथ यूके के प्रतिनिधि प्रेट्रिक मैसी, निकॉल केसे, केटी अयुम्येर, साराह वाकर, हॉली हॅर्नर, एंटोनियां इडी, सिम रीड, लॉरेन कोर्डी, सोफिया न्यूमेन ने कार्यक्रम में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी. वहीं कार्यक्रम को आयोजित करने में नीड्स के राज दत्ता व रोहित कुमार ने अहम भूमिका निभायी.
खुद भी कर रहे जैविक खेती
वीएसओ यूके के प्रतिनिधि भारत के प्रतिनिधि के साथ मिल कर भुरकुंडी व रघुवाडीह पंचायत में जैविक खेती पर कर रहे हैं. इस कार्यक्रम के माध्यम से टूटी-फूटी हिंदी में वीएसओ यूके के स्वयंसेवी निकॉल, केटी, साराह, हॉली आदि ने अपने अनुभव लोगों को सुनाते हुए कहा कि वे यहां के लोगों से कुछ सीखने व सिखाने आये हैं. टीम में शामिल भुरकुंडी व रघुवाडीह पंचायत के गांव में रह कर लोगों को जैविक कृषि के गुर सिखाने के साथ-साथ यहां की संस्कृति को भी सीखने का प्रयास कर रहे हैं. स्वयंसेवकों ने बताया कि वे लोग तीन माह के लिए भारत आए हैं. यहां से वे कई बेहतरीन यादें अपने साथ ले जायेंगे. स्थानीय लोगों ने भी विदेशी मेहमानों के इस प्रयास की सराहना करते हुए कार्यक्रम का लुत्फ उठाया.

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