देवघर: बड़ी मुश्किल और कड़ी मशक्कत के बाद झारखंड को एम्स की सौगात मिली है. यह सौगात संताल परगना जैसे पिछड़े इलाके के देवघर जिले के देवीपुर को मिला. इसके लिए कई स्तर से लड़ाई लड़ी गयी, तब जाकर एम्स देवघर में फाइनल हुआ. अब इस एम्स को लेकर श्रेय लेेने की राजनीति शुरू हो गयी है.
दरअसल, सोमवार को केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी चौबे ने अपने देवघर दौरे के क्रम में जिस तरह का बयान दिया, वह देवघर के लोगों को पच नहीं रहा है. श्री चौबे ने हाल ही में मंत्रालय की जिम्मेवारी संभाली है. शायद उनके संज्ञान में नहीं लाया गया है कि देवघर में एम्स के लिए किन-किन लोगों की अहम भूमिका रही है, इसलिए वह ऐसे बोल बोल गये.
लेकिन जैसे ही झारखंड में चुनाव हुए और भाजपा की सरकार रघुवर दास के नेतृत्व में बनी. सीएम रघुवर दास ने पहली कैबिनेट में देवघर में एम्स की स्थापना को मंजूरी दी और एक मात्र देवघर का प्रस्ताव केंद्र को भेजा. उसके बाद भी एम्स की फाइल स्वास्थ्य मंत्रालय में फंसी रही. सांसद ने इसके लिए लगातार प्रयास किया. विभिन्न फोरम पर बात रखी. इसी क्रम में उन्होंने 27 फरवरी 2017 व 5 अगस्त 2016 को लोकसभा में आवाज उठायी और केंद्रीय मंत्री से देवघर एम्स पर जवाब मांगा. और इसके साथ ही फाइल आगे बढ़ी और अब धरातल पर उतरने की स्थिति बनी है.