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Jharkhand: गांव का नाम बताने में लोगों को आती थी शर्म, युवा पीढ़ी के इस कदम ने बदल दिया सबकुछ

बंका पंचायत के तत्कालीन प्रधान रंजीत कुमार यादव ने गांव के पुराने नाम पर आपत्ति जतायी थी. जहां एक ओर लोग इंटरनेट के दौर में चले गए है, वहीं, इस गांव के लोग सोशल मीडिया पर अपने गांव का नाम नहीं लिख पाते थे. लेकिन, अब ऐसा नहीं है. पुराने नाम के साथ-साथ पुरानी परेशानी भी अब अस्तित्व में नहीं है.

Jharkhand: झारखंड के देवघर जिले के मोहनपुर प्रखण्ड की बंका पंचायत में एक गांव के लोगों को अपने गांव का नाम लेने में शर्म आती थी. बच्चे, बड़े या बूढ़े सभी को अपने गांव का नाम लेने में शर्माते थे. गांव का नाम बताने पर लोग उनका मजाक उड़ाते थे. स्कूल के बाकी बच्चे इस गांव के बच्चों पर हंसते थे. फिर क्या था, गांव की नई पीढ़ी ने नये नामकरण का फैसला लिया और ग्राम सभा की बैठक में गांव का नया नामकरण किया गया.

नई पीढ़ी के लोगों ने उठाया ये कदम

बता दें कि इससे पहले जब लोग इस गांव का नाम पढ़ते या सुनते थे तो लोगों की हंसी उड़ा देते थे. ऐसे में कई सालों से लोगों ने इन परेशानियों को झेला और आखिरकार फैसला किया नया नामकरण करने का. नई पीढ़ी के लोगों ने इसके लिए पंचायत का सहारा लेते हुए यह कार्य पूरा किया. पंचायत के तत्कालीन ग्राम पंचायत प्रधान ने गांव के सारे सरकारी दस्तावेजों में नया नामकरण करने के लिए ग्राम सभा की बैठक बुलायी. ग्राम सभा की बैठक में सभी की सम्मति से पुराना नाम बदलकर नया नाम मसूरिया रखने का प्रस्ताव पारित किया गया.

सभी दस्तावेजों में मसूरिया के नाम से गांव की इंट्री

ऐसे में वहां के सभी दस्तावेजों में विशेष तौर पर मसूरिया के नाम से गांव की इंट्री करायी गयी. अब राजस्व विभाग की वेबसाइट में भी मसूरिया गांव का नाम दर्ज हो गया है. बता दें कि अब इस गांव के लोग अपनी जमीन का लगान भी जमा करते हैं. अब प्रखंड कार्यालय से संचालित विकास योजना भी मसूरिया के नाम से हो रहा है. छात्रों को स्कूल व कॉलेज में जमा करने के लिए जाति, आवासीय व आय प्रमाण पत्र भी मसूरिया के नाम से जारी हो रहा है. साथ ही बच्चों को भी अब स्कूल में अपने गांव का नाम बताने में कोई परेशानी नहीं हो रही है.

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पंचायत के प्रधान ने जतायी थी आपत्ति

जानकारी हो कि बंका पंचायत के तत्कालीन प्रधान रंजीत कुमार यादव ने गांव के पुराने नाम पर आपत्ति जतायी थी. जहां एक ओर लोग इंटरनेट के दौर में चले गए है, वहीं, इस गांव के लोग सोशल मीडिया पर अपने गांव का नाम नहीं लिख पाते थे. लेकिन, अब ऐसा नहीं है. पुराने नाम के साथ-साथ पुरानी परेशानी भी अब अस्तित्व में नहीं है. विशेषकर लड़कियां जिन्हें स्कूल और कॉलेज में गांवका नाम बताने में शर्म आती थी अब गर्व से अपने गांव का नाम बता पा रही है. साथ ही बता दें कि पीएम आवास योजना भी अब मसूरिया के नाम से आवंटित होता है.

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