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झारखंड : सबसे अधिक फाइलेरिया मरीज देवघर में, दूसरे नंबर वेस्ट सिंहभूम और दुमका पांचवें स्थान पर

स्वास्थ्य विभाग के अनुसार किसी भी व्यक्ति को एक बार लिम्फेडेमा फाइलेरिया हो जाती है, तो यह बीमारी ठीक नहीं होती. यही कारण है कि आज जिला में आज लिम्फेडेमा फाइलेरिया के मरीज 6615 हो गया है, जो राज्य में अन्य जिलों से सबसे अधिक है.

देवघर जिले में लगातार दो सालों से नये फाइलेरिया मरीजों की संख्या में कमी आयी है. बीते 2021 में लिंफोडिमा फाइलेरिया के 16 नये मरीजों की पहचान हुई थी, जबकि 2022 में 11 नये लिम्फेडेमा फाइलेरिया. स्वास्थ्य विभाग के आंकड़े अनुसार 2018 में लिम्फेडेमा फाइलेरिया की सबसे अधिक 1799 नये मरीजों की पहचान हुई थी. इसके बाद 2019 में 424 और 2020 में 475 नये मरीजों की पहचान हुई है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार किसी भी व्यक्ति को एक बार लिम्फेडेमा फाइलेरिया हो जाती है, तो यह बीमारी ठीक नहीं होती. यही कारण है कि आज जिला में आज लिम्फेडेमा फाइलेरिया के मरीज 6615 हो गया है, जो राज्य में अन्य जिलों से सबसे अधिक है.

राज्य में फाइलेरिया मरीजों की संख्या बढ़े नहीं इसे लेकर स्वास्थ्य विभाग लगातार फाइलेरिया उन्मूलन को लेकर मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम को संचालन कर रहे है. जिसके लिए विभाग करोड़ों रुपये खर्च भी कर रहे हैं. बावजूद राज्य में फाइलेरिया मरीजों की संख्या कम नहीं हो रही है. इसमें सबसे भयावह स्थिति देवघर जिले की है. राज्य में सबसे अधिक फाइलेरिया मरीज देवघर जिले में है, जबकि जिले में फाइलेरिया रोकने लाखों रुपये खर्च के बावजूद नहीं टूटा मच्छर का डंक. जिले में अब फाइलेरिया का रोग गंभीर होता जा रहा है. फाइलेरिया रोग से ग्रसित झारखंड में देवघर जिला सबसे अव्वल है, जबकि दुसरे नंबर पर वेस्ट सिंहभूम है, वहीं संथाल परगना के दुमका जिला भी पांचवे स्थान पर है, जबकि स्वास्थ्य विभाग सालों से फाइलेरिया रोग को मिटाने के लिए सतत प्रयास कर रहे हैं.

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राज्य में पहले स्थान पर देवघर तो पांचवें स्थान पर दुमका जिला

स्वास्थ्य विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के हिसाब से राज्य में सभी जिले में फाइलेरिया (लिम्फेडेमा) के मरीज है. इस सूची के अनुसार देवघर जिले में सबसे अधिक 6615 मरीज है, जबकी वेस्ट सिंहभूम जिले में 5421 फाइलेरिया पीड़ित मरीज है. सरायकेला में 5066, धनबाद में 4382, और दुमका जिला में 4270 फाइलेरिया लोग लिम्फेडेमा की चपेट में हैं. इसलिए स्वास्थ्य विभाग इस ओर सबसे अधिक ध्यान दे रहा है. स्वास्थ्य विभाग से मिली जानकारी अनुसार राज्य स्वास्थ्य विभाग की ओर से क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होने वाली लिम्फेडेमा और हाइड्रोसील बीमारी के आंकड़ों की सूची तैयार की गयी है.

क्या है हाथी पांव या फाइलेरिया बीमारी

फाइलेरिया की बीमारी संक्रमित क्यूलेक्स मच्छर के काटने से होता है. यह मच्छर हमारे घरों व आसपास गंदे व प्रदूषित पानी में पाये जाते हैं. यह बीमारी किसी को किसी भी उम्र में हो सकता है. इस बीमारी से पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा होता है. शहरों में यह बीमारी लोगों को अधिक होती है. फाइलेरिया मरीज के पास महीनों रहने से भी बीमारी होने की संभावना रहती है. यह बीमारी पुरुषों के पैर, हाथ अंडकोष व महिलाओं के भी हाथ, पैर, स्तन प्रभावित कर देते हैं.

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राज्य के टॉप दस जिला जहां सबसे अधिक फाइलेरिया (लिम्फेडेमा) हैं

  • देवघर – 6615

  • वेस्ट सिंहभूम – 5421

  • सरायकेल – 5066

  • धनबाद – 4382

  • दुमका – 4270

  • गुमला – 3719

  • जामताड़ा – 2983

  • रांची – 2783

  • गोड्डा – 2716

  • बोकारा – 2285

कहते हैं सिविल सर्जन

सिविल सर्जन डॉ युगल किशोर चौधरी कहते हैं कि जिला में सरकार की ओर से फाइलेरिया से बचाव को लेकर लागातर मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम को संचालन कर रहे है, इसके तहत लोगों को जागरूक भी किया जा रहा है. बावजूद लोग जागरूक नहीं होने के कारण फाइलेरिया मरीजों की संख्या कम नहीं हो रहा है, लोगों को जागरूक होकर दवा खाना होगा तभी फाइलेरिया को रोका जा सकेगा.

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