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मार्च से ही शुरू हो जाता है पेयजल संकट
गांव की आबादी 1500, गांव में 15 चापानल व 20 कुएं हैं सूख जाते है गांव के अधिकांश जलस्त्रोत कुंदा. गरमी शुरू होते बनियाडीह गांव के लोग पेयजल संकट से जूझने लगते हैं. गांव के सभी कुएं, चापानल व अन्य जलस्त्रोत सूख जाते हैं. इससे लोगों को काफी परेशानी होती हैं. बनियाडीह गांव में शुक्रवार […]
गांव की आबादी 1500, गांव में 15 चापानल व 20 कुएं हैं
सूख जाते है गांव के अधिकांश जलस्त्रोत
कुंदा. गरमी शुरू होते बनियाडीह गांव के लोग पेयजल संकट से जूझने लगते हैं. गांव के सभी कुएं, चापानल व अन्य जलस्त्रोत सूख जाते हैं. इससे लोगों को काफी परेशानी होती हैं.
बनियाडीह गांव में शुक्रवार को प्रभात खबर आपके द्वार कार्यक्रम का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में ग्रामीणों ने अपनी समस्याएं रखी. उन्होंने पेयजल, उच्च शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क, बिजली व बेरोजगारी जैसे समस्याओं को रखा. कहा कि गांव में मार्च माह से पेयजल संकट शुरू हो जाता हैं. डेढ़ किमी दूर स्थित बाजो गंझू के कुआं से पानी लाकर प्यास बुझाते हैं. ग्रामीणों का अधिकांश समय पानी लाने में बीत जाता हैं. गांव की आबादी 1500 हैं.
यहां अनुसूचित (गंझू) जाति के अधिकांश लोग रहते हैं. गांव में 15 चापानल व 20 से अधिक कुएं हैं. इसमें अधिकांश कुएं व चापानल सुख चुके हैं. यह गांव चारों ओर पहाड़ व जंगलों से घिरा हैं. यहां की अधिकांश जमीन पत्थरीली हैं. जिस पर बरसाती फसल ही कर पाते हैं. चंद्रिका गंझू ने कहा कि गरमी के दिनों में कम पानी पीकर काम चलाते हैं. पानी के अभाव में कई दिन तक स्नान नहीं करते हैं. सबसे अधिक परेशानी मवेशियों को होती हैं.
लखन गंझू ने कहा कि बड़का पूजा नदी व आनयोडी तालाब का गहरीकरण कर पानी का स्टॉक कर गांव में जलापूर्ति की जा सकती हैं. बिरवा देवी ने कहा की गांव में स्वास्थ्य सुविधा न के बराबर है. इलाज के लिए 15 किमी दूर चतरा जाना पड़ता है, जिससे समय व पैसे दोनों की बरबादी होती हैं. सबसे अधिक परेशानी उस वक्त होती है, जब गांव की किसी महिला को प्रसव पीड़ा होती है. रेशमी देवी ने कहा कि उच्च शिक्षा के लिए बच्चों को प्रखंड मुख्यालय 10 व जिला मुख्यालय 15 किमी जाना पड़ता हैं. दूरी होने से गांव के बच्चे बीच में ही पढ़ाई छोड़ देते हैं. उच्च शिक्षा का सपना आज भी अधूरा हैं.
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