2005 से वन अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद इसमें इजाफा हुआ हैवन कर्मियों की कमी बता कर अधिकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त नहीं करा पा रहे चतरा. जिले में बड़े पैमाने पर वन भूमि का अतिक्रमण किया जा रहा है. 10 वर्ष में सैकड़ों एकड़ जमीन पर अतिक्रमण किया गया है. वन भूमि पर मकान, कुआं, सड़क आदि बना कर कब्जा किया गया है. 2005 से वन अधिकार अधिनियम लागू होते ही वन भूमि पर अतिक्रमण करने वालों में इजाफा हुआ है. दूसरी ओर वन विभाग के अधिकारी वन कर्मियों की कमी बता कर जमीन को अतिक्रमण मुक्त नहीं करा पा रहे हैं़ जिले के प्रतापपुर, कुंदा, लावालौंग, हंटरगंज, सिमरिया, टंडवा, पत्थलगड्डा, गिद्धौर, कान्हाचट्टी, इटखोरी, मयूरहंड व सदर प्रखंड में बड़े पैमाने पर वन भूमि का अतिक्रमण किया गया है़ कई लोगों ने फरजी दस्तावेज भी बना लिया है. पत्थलगड्डा प्रखंड के नावाडीह गांव में ग्रामीणों ने सैकड़ों एकड़ जमीन पर अतिक्रमण किया गया है. उत्तरी वन प्रमंडल पदाधिकारी एके मेहरोत्रा ने बताया कि नोटिस भेजने के बाद लोग न्यायालय मंे उपस्थित होकर जमीन छोड़ने का एकरारनामा करते हैं़ इसके बाद भी जमीन को नहीं छोड़ते हैं. इस संबंध में कई लोगों को जेल भेजा जा चुका है.
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सैकड़ों एकड़ वन भूमि का अतिक्रमण
2005 से वन अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद इसमें इजाफा हुआ हैवन कर्मियों की कमी बता कर अधिकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त नहीं करा पा रहे चतरा. जिले में बड़े पैमाने पर वन भूमि का अतिक्रमण किया जा रहा है. 10 वर्ष में सैकड़ों एकड़ जमीन पर अतिक्रमण किया गया है. वन भूमि पर […]
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