चाईबासा.
चाईबासा चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के संस्थापक सदस्य सहित पांच सदस्यों को निष्कासित करने का मामला शनिवार को गरमाया रहा. चेंबर के संस्थापक सह मुख्य ट्रस्टी अनूप कुमार सुल्तानियां ने प्रेस वार्ता कर कहा कि चेंबर के संस्थापक सदस्यों को चेंबर की कार्यसमिति की बैठक में निकालने की घोषणा कर मधुसूदन अग्रवाल की अध्यक्षता वाली कार्यसमिति के सभी सदस्य चाईबासा और जिले में उपहास के पात्र बन गये हैं. शायद ट्रस्ट के इतिहास में यह पहली घटना होगी, जब 25 वर्ष पूर्व स्थापित चाईबासा चेंबर के संस्थापक समेत चार संस्थापक सदस्यों को दो वर्षों के लिए निकालने की कार्रवाई की गई है. निष्कासन के दौरान चाईबासा चेंबर के ट्रस्टी के पूर्व अध्यक्ष सह आजीवन ट्रस्टी अनिल खिरवाल, ललित शर्मा, नितिन प्रकाश, मधुसूदन अग्रवाल और कानूनी सलाहकार आनंदवर्द्धन प्रसाद को तत्काल प्रभाव से निष्कासित किया गया था. श्री सुल्तानियां ने कहा कि इन ट्रस्टियों को जिन्होंने निष्कासित किया है, उन्हें निष्कासन का अधिकार ही नहीं था. इस आशय का निर्णय चेंबर ट्रस्ट – 2021 की एक विशेष बैठक में चेंबर के संस्थापक सह मुख्य ट्रस्टी अनूप कुमार सुल्तानिया की अध्यक्षता में उनके कार्यालय में लिया गया. बैठक में संस्थापक सदस्य सह आजीवन ट्रस्टी प्रदीप कुमार सिह, जयप्रकाश मुंधड़ा, विमान कुमार पाल व संजय दोदराजका उपस्थित रहे. बैठक में बताया गया कि पांचों आजीवन ट्रस्टियों पर आरोप है कि इन सभी ने अपने अपने निजी स्वार्थ तथा पिछले दरवाजे से येन केन पद प्राप्त करने के लिए ट्रस्ट-2021 के रहते हुए असंवैधानिक और गैरकानूनी रूप से दूसरे ट्रस्ट-2025 का गठन कर चाईबासा चेंबर की 25 वर्ष पुरानी साख को समाप्त करने और साधारण सदस्यों को गुमराह करने का प्रयास किया है. उन्होंने कहा कि 23 अगस्त 2023 को पिल्लई हॉल में आहूत चाईबासा चेंबर की 13वीं वार्षिक आमसभा में अनिल खिरवाल, नितिन प्रकाश और मधुसूदन अग्रवाल के इशारे पर ही उनके कुछ समर्थकों द्वारा हो हल्ला कर तथा गलत जानकारी देकर कथित ध्वनि मत से चाईबासा चेंबर ट्रस्ट- 2021 को भंग करने की घोषणा की गई थी. उस दिन भी इस ट्रस्ट के समर्थन में अनूप कुमार सुल्तानिया, प्रदीप कुमार सिंह, जयप्रकाश मुंदड़ा व संजय दोदराजका को अपना पक्ष तक रखने का मौका नहीं दिया गया. एक ओर तो ये लोग यह दावा करते थे कि चाईबासा चेंबर ट्रस्ट-2021 दो वर्ष पूर्व ही भंग किया जा चुका है, दूसरी ओर ये लोग घूम-घूम कर संस्थापक सदस्यों सह आजीवन ट्रस्टियों से त्यागपत्र की मांग कर रहे थे.झारखंड सरकार में रजिस्टर्ड ट्रस्ट-2021 को भंग करने की लंबी प्रक्रिया
अनूप सुल्तानियां ने कहा कि यहां प्रश्न यह खड़ा होता है कि क्या भंग की जा चुकी किसी भी समिति के सदस्यों का त्यागपत्र होता है. इसका सीधा जवाब है, नहीं. स्पष्ट है कि ट्रस्ट- 2021 भंग नहीं किया जा सका है. क्योंकि झारखंड सरकार में रजिस्टर्ड ट्रस्ट – 2021 को भंग करने की एक लंबी कानूनी प्रक्रिया है. इसमें मुख्य ट्रस्टी समेत सभी दस आजीवन ट्रस्टियों की लिखित सहमति अतिआवश्यक है. इसका अर्थ यह है कि कानूनी रूप से चाईबासा चेंबर का मतलब ही चाईबासा चेंबर ट्रस्ट है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

