चाईबासा. लुपुंगटू पंचायत भवन में जिला मुखिया संघ ने मंगलवार को बैठक की. मुखिया संघ के अध्यक्ष हरिन तामसोय की अध्यक्षता में बैठक हुई. इसमें मानकी-मुंडा संघ को समर्थन देने की घोषणा की गयी. बैठक में जिले के विभिन्न प्रखंडों से बड़ी संख्या में मुखिया एवं जनप्रतिनिधि उपस्थित थे. बैठक में ग्रामीण विकास, पेयजल, स्वच्छता, पर्यावरणीय नीतियों और प्रशासनिक समन्वय जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की गयी. इसमें जिला मुखिया संघ ने घोषणा की कि वे मानकी मुंडा संघ की प्रत्येक गतिविधि में सहयोग और समर्थन देंगे. यह निर्णय ग्रामीण नेतृत्व और पारंपरिक संस्थाओं के बीच समन्वय को मजबूती देगा. संघ ने 7 अक्तूबर को उपायुक्त से तीन सूत्री मांगों को लेकर मुलाकात करने का निर्णय लिया. इस मुलाकात में संघ अपनी तीन मुख्य मांगों को रखेगा, जो पंचायतों के बुनियादी विकास से संबंधित होंगी. मुखिया संघ ने ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता और स्कूलों व आंगनबाड़ी में स्वच्छता की खराब स्थिति को लेकर चिंता व्यक्त की. संघ ने निर्णय लिया कि जिला प्रशासन से आग्रह किया जायेगा कि जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट फंड से पूर्ण रूप से प्रभावित पंचायतों को 30 लाख रुपये और आंशिक रूप से प्रभावित पंचायतों को 20 लाख रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान की जाए. बैठक में प्रस्ताव पारित किया गया कि संघ सारंडा क्षेत्र को वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित करने की किसी भी योजना का विरोध करेगा. प्रतिनिधियों का मत था कि इससे आदिवासी समुदायों के पारंपरिक अधिकारों और जीवन-शैली पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. बैठक के अंत में लुपुंगुटू पंचायत के मुखिया गुलशन सुंडी ने धन्यवाद ज्ञापन किया.
कोट-
– डीएफएफटी फंड पर सबसे पहला अधिकार उन पंचायतों का होना चाहिए, जो खनन से सीधे प्रभावित हैं. हम अपने बच्चों को गंदे आंगनबाड़ी केंद्रों और टूटी छत वाले स्कूलों में नहीं पढ़ा सकते हैं. जिला प्रशासन इस पर ध्यान दे. – गुलशन सुंडी, मुखिया, लुपुंगुटू पंचायत– सारंडा हमारे पूर्वजों की धरती है. पूजा-पाठ, जीविका और जीवन का आधार है. इसे अभ्यारण्य बनाकर हमें बेदखल करने की कोशिश न की जाए. इसका कड़ा विरोध किया जायेगा. -मंगल सिंह कुंटिया, मुखिया, झींकपानी
– जहां खनिज संपदा है, वहीं विकास की सबसे ज्यादा कमी है. यह अन्याय है और इसे हम नहीं सहेंगे. गांवों में पेयजल उपलब्ध करायी जाये. मूलभूत समस्याओं को दूर किया जाये. – जयश्री कुंकल, मुखिया, हाटगम्हरिया– वन्यजीव संरक्षण जरूरी है, लेकिन बिना आदिवासियों की सहमति के कोई योजना थोपी गयी तो उसका डटकर विरोध होगा. सारंडा को वन्यजीव अभ्यारण्य घोषित करने का विरोध होगा. -दोनो बनसिंह, मुखिया, सचिव
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