मनोहरपुर/चिरिया. चिरिया की धोबिल खदान (सेल) में कार्यरत ठेका मजदूर बेसरा चाम्पिया की संदेहास्पद स्थिति में मौत की सूचना पर परिजनों ने गुरुवार की दोपहर सेल गेट जाम कर दिया. मजदूरों ने प्रबंधन पर मजदूर की मौत की सूचना छुपाने का आरोप लगाया. सेल गेट के बाहर नारेबाजी की. परिजनों का कहना था कि जबतक मजदूर की मौत का कारण नहीं बताया जायेगा, मुआवजा के साथ परिजन को स्थायी नौकरी देने की घोषणा नहीं होगी, तब तक सेल गेट जाम रखेंगे.मालूम रहे कि बेसरा चाम्पिया ठेका कंपनी एनएसआइपीएल के अधीनस्थ बी रजिस्टर का श्रमिक था. बीते 10 जून को नक्सली बंदी के दिन पीएमई (प्राथमिक स्वास्थ्य प्रशिक्षण) करने के लिए माइंस में बुलाया गया था. सभी मजदूरों के जाने के बाद बेसरा माइंस रास्ते में गिरा मिला. इसके बाद एनएसआइपीएल के पंकज अग्रवाल ने बिना परिजनों को बताए बेसरा को सीधे राउरकेला भेजा, जहां चिकित्सकों ने मृत घोषित कर दिया.
लिखित आश्वासन के बाद हटाया गया जाम:
गुरुवार को सेल गेट जाम की सूचना पर डीएसपी जयदीप लकड़ा, पुलिस निरीक्षक अवधेश कुमार दलबल सहित पहुंचे. उन्होंने ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया. ग्रामीण अपनी मांग पर अड़े रहे. शाम लगभग 6 बजे ठेका प्रबंधन ने परिजनों से बात कर घटना की जानकारी दी. कहा कि लेबर एक्ट के तहत मुआवजा देंगे. वहीं मुआवजा व नौकरी के लिए लिखित एकरार की मांग पर परिजन अड़े रहे. लिखित आश्वासन के बाद लोगों ने जाम हटाया.मजदूर की बेटी बालेमा व सीता ने बताया कि सेल और ठेका प्रबंधन ने घटना को छिपाना चाहा. गुरुवार को ठेका प्रबंधन और ग्रामीणों के बीच वार्ता में ठेका कम्पनी के पंकज अग्रवाल ने बताया कि 10 जून की शाम को सूचना मिली कि माइंस के रास्ते पर बेसरा चांपिया गिरा हुआ है. देर शाम लगभग 7 बजे उन्होंने अपनी गाड़ी से बेसरा को राउरकेला आइजीएच अस्पताल लाया, जहां उसे मृत घोषित कर दिया. परिजनों ने 50 लाख मुआवजा और नौकरी की मांग की. इस पर ठेका प्रबंधन ने उन्हें लेबर एक्ट के तहत मुआवजा देने और उनके परिजन को नौकरी देने की बात कही.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है