झींकपानी. कुड़मी (महतो) को आदिवासी में शामिल करने के प्रस्ताव का टोंटो प्रखंड के सिरिंगसिया गांव में जोरदार विरोध किया जा रहा है. मंगलवार को बिमल कुमार लागुरी की अध्यक्षता में ग्रामीणों की बैठक हुई, जिसमें आरोप लगाया गया कि कुड़मी आदिवासी में शामिल होकर आदिवासियों के हक, अधिकार और जमीन पर कब्जा करना चाहते हैं. बैठक में कहा गया कि कुड़मी और कुर्मी अलग-अलग समुदाय हैं. कुर्मी और कोइरी बिहार, यूपी समेत अन्य राज्यों के निवासी हैं, जबकि कुड़मी (महतो) इस गुट के नाम पर आदिवासी जमीन और आरक्षण का लाभ उठाने की साजिश कर रहे हैं. आदिवासी प्रतिनिधियों ने कहा कि वे अपने अधिकारों की रक्षा के लिए हम संघर्ष के लिए तैयार हैं. बैठक में यह भी बताया गया कि आदिवासी प्रकृति, देशाउली, जाहेरथान, सिंगबोंगा और बुरुबोंगा की पूजा करते हैं, जबकि कुड़मी देवी-देवताओं की मूर्ति पूजा करते हैं.
इसलिए कुड़मी को आदिवासी सूची में शामिल करने का विरोध किया जायेगा. विरोध स्वरूप गांव में रैली निकाली गयी और जमकर नारेबाजी की गयी. बैठक में लेबेया लागुरी, सरदार लागुरी, कुशनू लागुरी, सिदाम लगुरी, जानुम सिंह गोप, सालुका लागुरी, सुभाष पान, सुनील लागुरी, भरत भूषण लागुरी सहित आदिवासी महिलाएं और पुरुष उपस्थित थे.
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