चाईबासा. पूर्व मुख्यमंत्री सह सरायकेला के विधायक चंपाई सोरेन ने सोशल साइट पर बयान जारी कर कहा है कि भोगनाडीह, सिरमटोली, नगड़ी और अब चाईबासा की घटना को ध्यान से देखने पर पता चलता है कि जब कभी भी आदिवासी समाज ने अपने हक एवं अधिकार के लिए आवाज बुलंद की है, हर बार इस आदिवासी विरोधी सरकार ने उसे कुचलने का प्रयास किया है. इन सभी घटनाओं का पैटर्न एकदम स्पष्ट है- पहले आंदोलन कर रहे आदिवासियों पर जमकर लाठी चार्ज करो, आंसू गैस छोड़ो, प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करो, उन पर फर्जी मुकदमे डालो और अंत में विपक्ष पर सारी जिम्मेदारी डालकर सबकुछ भूल जाओ. इसके बाद जो कोई भी आपके खिलाफ दिखे सबका नाम आरोपियों की लिस्ट में डाल कर उन्हें परेशान करते रहो. 75 लोगों पर नामजद एवं सैकड़ों अन्य पर झूठा मुकदमा करके आप आदिवासी समाज को डरा नहीं सकते. सूर्या हांसदा का फर्जी एनकाउंटर करवाने वालों से यहां कोई नहीं डरता. भारतीय संविधान हर व्यक्ति को अपनी वाजिब मांगों के लिए धरना-प्रदर्शन करने का अधिकार देता है. आदिवासियों पर अत्याचार करने वालों के लिए कानून में विशेष प्रावधान है. हाईकोर्ट को भी इस मामले का संज्ञान लेकर एससी-एसटी एक्ट के प्रावधानों के तहत समुचित कार्रवाई करनी चाहिए. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि यह धरती वीर पोटो की है. जब हमारे पूर्वजों ने अंग्रेजों के अत्याचार के खिलाफ घुटने नहीं टेके, तो इन लोगों के हथकंडों से कोई नहीं डरेगा. अगर शीघ्र ही यह फर्जी एफआईआर वापस नहीं होती है और सभी गिरफ्तार लोगों को रिहा नहीं किया जाता है, तो कोल्हान अनिश्चितकाल के लिए पूरी तरह से बंद कर दिया जायेगा. यहां से एक ढेला भी बाहर नहीं निकलने दिया जायेगा.
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