गुवा.
सेल के किरीबुरु व मेघाहातुबुरु लौह अयस्क खदानों के लिए बड़ी खुशखबरी है. वर्षों प्रतीक्षा के बाद किरीबुरु स्थित साउथ ब्लॉक व मेघाहातुबुरु के सेंट्रल ब्लॉक खदान के कुल 247 हेक्टेयर पहाड़ी भूभाग को स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लियरेंस मिल गया है. इस निर्णय से दोनों खदानों के नये क्षेत्र में खनन का रास्ता साफ हो गया है. सेल प्रबंधन राज्य सरकार व वन विभाग द्वारा निर्धारित सभी दिशा-निर्देशों का पालन करते हुए इन पहाड़ियों पर लौह अयस्क की खुदाई शुरू की जा सकेगी. 247 हेक्टेयर स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लियरेंस मिलने की पुष्टि सारंडा के डीएफओ अविरुप सिन्हा ने भी की है. कई माह से किरीबुरु और मेघाहातुबुरु खदान प्रबंधन इस अनुमति के लिए लगातार प्रयासरत रहा. दोनों ही खदान क्षेत्र में खुशी की लहर है.20 वर्षों के लिए मिली अनुमति
स्टेज-2 फॉरेस्ट क्लियरेंस मिलने के साथ ही किरीबुरु और मेघाहातुबुरु खदानों की जीवन अवधि (माइनिंग लाइफ) में लगभग 20 वर्षों की बढ़ोतरी हुई है. अब खदान प्रबंधन अगले दो दशकों तक निर्बाध रूप से खनन कर सकेगा. यह निर्णय न केवल सेल, बल्कि झारखंड के औद्योगिक भविष्य और आदिवासी क्षेत्र के जीवन के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. पिछले 15 वर्षों से खदान प्रबंधन की ओर से वन विभाग और संबंधित मंत्रालयों के बीच संवाद व कागजी प्रक्रिया चल रही थी. अंततः यह प्रयास रंग लाया व सेल को मंजूरी मिली.सेल के बोकारो, राउरकेला समेत कई स्टील संयंत्रों को कच्चे माल की आपूर्ति इन दो खदानों से होती है. इससे लौह इस्पात उत्पादन चेन को भी सपोर्ट मिल गयी. खदान के बंद होने की अटकलों के बीच हजारों लोगों के बेरोजगार होने का भी खतरा बना रहा. वहीं डीएमएफटी फंड द्वारा शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल व बुनियादी सुविधाओं की जिला स्तर की कई योजनाएं भी प्रभावित होने के आसार बन गये थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है