चाईबासा.
प्रस्तावित चाईबासा-बाइपास सड़क निर्माण के विरोध में शुक्रवार को झारखंड पुनरुत्थान अभियान और खूंटकट्टी रैयत रक्षा समिति ने सदर अंचल कार्यालय के समक्ष धरना-प्रदर्शन किया. इसका नेतृत्व अभियान के प्रखंड अध्यक्ष सुरा पूरती ने किया. प्रतिनिधिमंडल ने अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष के नाम प्रखंड विकास पदाधिकारी को सात सूत्री मांगपत्र ज्ञापन सौंपा. जिला भू-अर्जन पदाधिकारी और अंचल अधिकारियों पर रैयतों को अपमानित, प्रताड़ित करने के आरोप लगाते हुए निष्पक्ष जांच की मांग की. समिति के सदर अनुमंडल अध्यक्ष बलभद्र सांवैया व अभियान के केंद्रीय महासचिव अमृत मांझी ने कहा कि पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में आदिवासियों की बहुफसली सिंचित कृषि भूमि को खाद्य सुरक्षा के दृष्टिकोण से अधिग्रहण से मुफ्त रखना है. प्रस्तावित चाईबासा बाइपास के नाम पर 16 गांवों की रैयती बहुफसली सिंचित कृषि भूमि को अधिग्रहण करने के लिए बार-बार नोटिस भेजा जा रहा है.समिति के सचिव केदारनाथ कालुंडिया ने कहा कि विभागीय उदासीनता के कारण चाईबासा शहर में अतिक्रमण कर भवन निर्माण किया गया है. विभाग ने भवन पर निशान लगाया है, लेकिन अतिक्रमणमुफ्त नहीं कराया जा रहा है. एनएच 75ई सड़क पर अतिक्रमण करने वालों को बचाने के लिए आदिवासियों को रैयती बहुफसली सिंचित कृषि भूमि से जबरन बेदखल करना चाहते हैं. जिला भू-अर्जन पदाधिकारी और अंचल अधिकारियों ने चाईबासा बाइपास के नाम पर 16 गांवों के 99 प्रतिशत आदिवासी रैयतों के साथ अत्यधिक प्रशासनिक संस्कृति को अपना कर उनको अपमानित और प्रताड़ित किया है. धरना में अभियान के केंद्रीय अध्यक्ष सन्नी सिंकु, नारायण सिंह पुरती, मंगल सरदार, अजय मुर्मू, विशाल गुड़िया, केदार कालुंडिया, शिव गगराई, सुरेश सोय, नीतिमा सांवैया, मुनेश्वर पुरती और अन्य ने संबोधित किया. धरना में सैकड़ों रैयत उपस्थित थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

