चक्रधरपुर.
ट्रेन दुर्घटना के दौरान यात्रियों के राहत व बचाव के लिए चक्रधरपुर रेल मंडल द्वारा शुक्रवार को स्टेशन यार्ड में मॉक ड्रिल की गयी. ट्रेन दुर्घटना का प्रदर्शन करते हुए रेलकर्मियों ने राहत व बचाव कार्यों का अभ्यास किया. यात्रियों को कोच से सुरक्षित निकालने में तत्परता दिखायी.ट्रेन दुर्घटना का जीवंत प्रारूप देने के लिये रेलवे ने सुबह 10.26 बजे पांच हूटर बजायी. हूटर बजते ही रेलवे के सभी विभागों में फोन की घंटी बजनी शुरू हो गयी. रेल अधिकारियों व कर्मियों में अफरातफरी मच गयी. रेल मंडल प्रबंधक तरुण हुरिया समेत सभी वरिष्ठ अधिकारी स्टेशन की ओर दौड़ लगा दी. रेलवे स्टेशन के आसपास के लोग भी जमा हो गये. काफी संख्या में लोग घटनास्थल की ओर दौड़ पड़े. रेल प्रशासन ने स्थानीय लोगों को बताया कि यह आपदा से निपटने के लिए तैयारी की जा रही है, तब जाकर लोगों ने राहत की सांस ली.
स्टेशन में उद्घोषणा से सभी विभागों में हड़कंप मच गयी :
रेलवे स्टेशन में उद्घोषणा करते हुए बताया गया कि चक्रधरपुर यार्ड में गोइलकेरा-टाटानगर स्पेशल एक्सप्रेस ट्रेन दूसरी यात्री ट्रेन से टकरा गयी है. टक्कर इतनी जोरदार थी कि एसी-3 व स्लीपर कोच एक दूसरे पर चढ़ गई. इस सूचना से रेलवे के सभी विभागों में हड़कंप मच गयी. मौके पर अपर मंडल रेल प्रबंधक विनय कुजूर, वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक आदित्य चौधरी, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ एसके मिश्रा, वरिष्ठ मंडल विद्युत अभियंता (टीआरडी) चंद्रशेखर, आरपीएफ के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त पी शंकर कुट्टी, एनडीआरएफ-9 बटालियन के विनय कुमार, टीम कमांडर सरोज कुमार, संचार में सुजीत कुमार, टाटानगर रेल सिविल डिफेंस इंस्पेक्टर संतोष कुमार समेत 500 से अधिक रेलकर्मी व सुरक्षाकर्मी एवं राहत व बचाव दल के सदस्य शामिल थे.घटनास्थल पर राहत व बचाव दल ने मोर्चा संभाला
घटनास्थल पर एक्सीडेंट रीलिफ ट्रेन, क्रेन, पुलिस व चिकित्सा विभाग ने मोर्चा संभाल लिया. रेलवे की एआरटी, एनडीआरएफ, सिविल डिफेंस ने एसी कोच की खिड़की गैस कटर से काटकर यात्रियों का रेस्क्यू किया. करीब एक घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद एसी कोच से 64 व स्लीपर से 68 यात्रियों (पुतला) को सुरक्षित कोच से रेस्क्यू किया. सिविल डिफेंस के जवानों ने कंबल से स्ट्रेचर तैयार कर बचाव कार्य किया. कोच में लगी आग को फायर संयंत्र का प्रयोग कर बुझाया गया. घायल यात्रियों को चिकित्सा शिविर लगाकर प्राथमिक उपचार किया गया, जबकि गंभीर यात्रियों को एंबुलेंस से रेलवे अस्पताल में भर्ती कराया गया. मॉक ड्रिल के दौरान राहत बचाव के तकनीक को समझा गया. जहां गलती हुई उसे सुधारा गया.– ट्रेन दुर्घटना होती है, तो तैयार रहने व तत्परता से जान-माल की क्षति को कम कर सकते हैं. कोच में फंसे यात्रियों को रेस्क्यू कर सुरक्षित निकालेंगे. जख्मी लोगों की जान बचायेंगे. उन्होंने बचाव व राहत कार्य में शामिल सभी रेलकर्मियों व अधिकारियों का हौसला बढ़ाया. उन्होंने बहुत कम समय में राहत कार्य को अंजाम देने की प्रशंसा की.
-तरुण हुरिया, डीआरएम
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

