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Bokaro News:2003 के सेल चेयरमैन वीएस जैन जैसा बड़ा दिल दिखायें चेयरमैन अमरेंदु प्रकाश

Bokaro News: बीएकेएस ने सेल प्रबंधन व एनजेसीएस यूनियनों पर बोला हमला

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Bokaro News: वेज रिवीजन, बकाया एरियर का भुगतान सहित बीएसएल-सेल कर्मियों की लंबित मांगों को लेकर बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ-बीएकेएस ने सेल प्रबंधन व एनजेसीएस यूनियनों पर हमला बोला है. बीएकेएस ने मंगलवार को कहा : सेल प्रबंधन की ओर से 2003 में जनवरी 1997 से दिसंबर 2000 के बीच 48 माह का एरियर का भुगतान किया गया था. उस समय सेल अधिकारियों व कर्मियों का वेतन समझौता एक समान 10 वर्ष की अवधि के लिए किया गया था. 48 माह के एरियर का भुगतान 2003 मे एडहॉक भुगतान के रूप में सेल प्रबंधन द्वारा किया गया था, लेकिन, 2017 के वेज रिवीजन में एनजेसीएस यूनियनों की विफलता के कारण एक तो 2 प्रतिशत कम एमजीबी व 8.5 प्रतिशत कम पर्क्स पर अवैध एमओयू किया गया, वहीं 19 माह का पर्क्स का एरियर भी भुगतान नहीं किया गया.

39 माह के फिटमेंट एरियर का समझौता होने के बावजूद अभी तक सब कमेटी का गठन नहीं :

बीएकेएस ने कहा : 39 माह के फिटमेंट एरियर का समझौता होने के बावजूद अभी तक उस पर कोई सब कमेटी का गठन भी नहीं हुआ है. बीएकेएस ने इस पर प्रिंसिपल बेंच कैट दिल्ली में मुकदमा भी दर्ज कराया है, जिस पर सेल मैनेजमेंट ने अपना जवाब दाखिल किया है. उसके बाद बीएकेएस यूनियन की टीम मैनेजमेंट के जवाब के विरुद्ध यूनियन का जवाब तैयार कर रही है. 1997 का वेज रिवीजन के समय भी 2017 जैसा सेल भारी घाटे में था, लेकिन बाद में मुनाफा में आने के बाद सेल प्रबंधन ने 2003 में 48 माह का एरियर को अपने कर्मियों को भुगतान किया था. सेल प्रबंधन द्वारा अपने वार्षिक रिपोर्ट 2003-04 में इसका जिक्र भी किया गया है. कंपनी ने 31.12.1996 को कर्मचारियों के साथ दीर्घकालिक समझौतों की समाप्ति के बाद, 1.1.1997 से 31.12.2000 तक की अवधि में काल्पनिक वेतन वृद्धि के आधार पर फिटमेंट के साथ 1.1.2001 से संशोधित वेतन और मजदूरी समझौते को लागू किया था.

बोले बीएकेएस अध्यक्ष :

बीएकेएस अध्यक्ष हरिओम ने कहा कि सेल प्रबंधन को कागज पर महारत्ना, ग्रेट प्लेस टू वर्क व नैतिक इस्पात निर्माता के रूप में दिखाने की जगह वास्तविक रूप से बड़ा दिल दिखाना चाहिए. कर्मियों की मेहनत के दम पर ही एक समय 16039 करोड़ का पीबीटी हुआ था. जब घाटे का जिम्मेदार कर्मियों को मान कर समय पर वेज रिवीजन नहीं किया गया तो उन्हीं कर्मियों की मेहनत के दम पर कमाये गये मुनाफा में से भी उन्हें हिस्सेदारी देनी चाहिए.

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