बेरमो, सीसीएल की एकेके (अमलगमेटेड कोनार-खासमहल) परियोजना देश की टॉप 25 कोयला खदानों में शामिल है. फिलहाल सीसीएल मुख्यालय इस परियोजना के लिए रिवाइज पीआर (प्रोजक्ट रिपोर्ट) बना रहा है. पहले वर्ष 2019 से 2032 तक के लिए करीब 200 मिलियन टन की पीआर बनायी गयी थी. प्रबंधन की योजना इस परियोजना से आने वाले वर्षों में 6-7 मिलियन टन से बढ़ा कर 10-12 मिलियन टन सालाना कोयला उत्पादन करने की है.
चालू वित्तीय वर्ष में एकेके परियोजना का कोयला उत्पादन लक्ष्य सात मिलियन टन है. अभी तक 21.66 लाख टन उत्पादन किया गया है, जो गत वर्ष की तुलना में करीब 18-19 फीसदी का पॉजिटिव ग्रोथ है. परियोजना का मासिक उत्पादन ग्रोथ 188 फीसदी है. कोल डिस्पैच में पूरे सीसीएल में एकेके का दूसरा स्थान है. यहां से रोजाना तीन रेलवे रैक कोयला जा रहा है, जिसे चार-पांच रैक करना है. एकेके में कोल हैंडलिंग प्लांट का निर्माण भी जोर-शोर से चल रहा है. इसे वर्ष 2026 में चालू करने की योजना है.बरवाबेड़ा गांव की शिफ्टिंग के बाद सीसीएल को इसके भू-गर्भ से करीब 40 मिलियन टन कोयला मिलेगा. इस गांव को शिफ्ट को लेकर प्रबंधन प्रयासरत है. लेकिन अभी तक सफलता नहीं मिली है. बरवाबेड़ा गांव के लोगों को तीन किमी दूर केएसपी फेज दो परियोजना में शिफ्ट किये जाने को लेकर नये पुनर्वास स्थल में सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सीसीएल ने 14 करोड़ रुपये खर्च किये हैं. प्रबंधन सूत्रों की माने को फिलहाल प्रबंधन के पास बरवाबेड़ा गांव के निकट 300 मीटर आगे बढ़ने की ही जगह है. इसके तहत एक बंद सड़क को चालू करते हुए इसके आगे डीवीसी के 33 हजार का हाइ टेंशन तार को बदलने का काम चल रहा है. 300 गुणा 80 मीटर के इस नये पैच के नीचे करीब चार मिलियन टन कोयला है.
कुरपनिया सेक्शन में है 26 मिलियन टन कोयला
इधर, प्रबंधन एकेके माइंस के विस्तार को लेकर कुरपनिया सेक्शन में भी काम कर रहा है. इसके तहत कुरपनिया गांव व संडे बाजार लंबी सेंटर के लगभग 150 घरों को शिफ्ट किया जायेगा. इस सेक्शन में 21 मिलियन घन मीटर टन ओबी निस्तारण के बाद 26 मिलियन टन कोयला मिलेगा. इसको लेकर प्रबंधन रोजाना ग्रामीणों के साथ आरएंडआर की मिटिंग कर रहा है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

