Bokaro News : चंद्रग्रहण के कारण रविवार को बोकारो-चास के सभी प्रमुख मंदिरों के कपाट अपराह्न एक बजे के बाद बंद रहे. चंद्रग्रहण रविवार की रात्रि में नौ बजकर 57 मिनट पर लगा. 3.30 घंटे चंद्रग्रहण दृश्यमान रहा. जबकि चंद्रग्रहण का सूतक काल दोपहर 12:57 बजे से ही लग गया. इस कारण दोपहर के बाद मंदिरों के कपाट बंद कर दिये गये. भक्तों को मंदिरों के बाहर से ही दर्शन करने पड़े. 2025 का अंतिम पूर्ण चंद्र ग्रहण रविवार को लगा.
पितृपक्ष से पहले लगने वाला ग्रहण साढ़े तीन घंटे तक रहा :
2025 का दृश्यमान पहला और आखिरी चंद्रग्रहण भाद्र शुक्ल पूर्णिमा सात सितंबर को यानी रविवार को लगा. पितृपक्ष से पहले लगने वाला यह ग्रहण साढ़े तीन घंटे तक रहा. ग्रहण की शुरुआत से मोक्ष तक यह संपूर्ण भारत में दृश्यमान रहा. ग्रहण का सूतक काल नौ घंटे पहले दिन में 12:57 बजे से ही लग गया. बोकारो-चास सहित आस-पास के अधिकांश मंदिरों के कपाट दोपहर एक बजे से ही बंद हो गये. सूतक काल में बाल, वृद्ध व रोगी को छोड़कर अन्य को भोजन करना वर्जित बताया गया है.मध्य काल रात्रि 11.41 बजे व मोक्षकाल रात 01:27 बजे :
श्रीराम मंदिर-सेक्टर वन के ज्योतिषाचार्य पंडित शिव कुमार शास्त्री ने बताया : भारतीय मानक समयानुसार ग्रहण का प्रारंभ रात्रि में नौ बजकर 57 मिनट पर, ग्रहण का मध्य काल रात्रि 11 बजकर 41 मिनट व मोक्षकाल रात 01:27 मिनट पर हुआ. ग्रहण का स्पर्श, मध्य व मोक्ष संपूर्ण भारत में दृश्यमान रहा.28 अक्तूबर 2023 को भारत में देखा गया था चंद्रग्रहण :
यहां उल्लेखनीय है कि इसके पूर्व भारत में दृश्य ग्रहण आश्विन शुक्ल पूर्णिमा 28 अक्तूबर 2023 को खंडग्रास चंद्रग्रहण भारत में देखा गया था. 2024 में भारत में कोई भी ग्रहण दृश्य नहीं हुआ था.पूरा चंद्रमा पृथ्वी की छाया से नीचे तब पूर्ण चंद्र ग्रहण :
रविवार को दृश्य चंद्रग्रहण शतभिषा नक्षत्र व कुंभ राशि पर हुआ. पूर्णिमा के दिन जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच से गुज़रती है और तीनों एक सीध में होते हैं, तो चंद्र ग्रहण लगता है. आंशिक चंद्र ग्रहण तभी होता है जब चंद्रमा का एक भाग पृथ्वी की छाया से नीचे आता है और पूर्ण चंद्र ग्रहण तब होता है, जब पूरा चंद्रमा पृथ्वी की छाया से नीचे आता है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

