Bokaro News : राकेश वर्मा, बेरमो. शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाने के लिए नावाडीह प्रखंड के पिपराडीह अंतर्गत खेरागड्डा के झब्बूलाल महतो का नाम बुनियादी शिक्षक के रूप में प्रसिद्ध है. इस इलाके में श्री महतो के प्रयास से ही शिक्षा के क्षेत्र में बुनियादी परिवर्तन हुए हैं. झब्बूलाल महतो ने 1982 में पिलपिलो ग्राम में खपरैल का घर बनाया और उसी घर में बच्चों को पढ़ाने की शुरुआत की. 1989 में उस स्कूल का सरकारीकरण हो गया. वहां सरकारी शिक्षक बहाल किये गये और पढ़ाई जारी रहा. जब इस स्कूल का सरकार ने अधिग्रहण कर लिया, तब वहां सरकारी शिक्षक की बहाली कर दी गयी. श्री महतो मैट्रिक पास नहीं होने के कारण स्कूल में सरकारी शिक्षक के रूप में बहाली नहीं हो पायी, लेकिन शिक्षा के प्रति उनका जुनून ऐसा था कि वह बच्चों को फ्री में ही पढ़ाते रहे. उन दिनों शनिचरा के रूप में पूजा होती थी और बच्चों द्वारा उन्हें 25 से 50 पैसे दक्षिणा के रूप में मिलता था. उसी से उनका भरण-पोषण होता था. जब बच्चे पांचवां क्लास से पास हो कर दूसरे स्कूल जाने लगते थे, तब उन्हें उपहार में धोती और जोती दिया जाता था. धोती वह अपने पहनावे के लिए उपयोग करते थे, वहीं जोती बैलों को बांधकर खेतीबारी के उपयोग में लाते है. अब यह स्कूल हीरा उत्क्रमित मध्य विद्यालय के रूप में परिवर्तित है. यह विद्यालय ऊपरघाट स्थित कंजकिरो पंचायत के पिलपिलो में स्थापित है, लेकिन झब्बूलाल महतो अपने घर से चार किलोमीटर पैदल चलकर स्कूल पहुंचते हैं. आज 80 वर्ष की उम्र में भी झब्बूलाल बच्चों को शिक्षा देने का कार्य निरंतर जारी रखे हुए हैं. वे कहते हैं कि उन्हें बच्चों को पढ़ाना अच्छा लगता है. उनका एक बेटा विदेश में किसी कंपनी में काम करता है, वहीं उनका दूसरा बेटा पिपराडीह उत्क्रमित मध्य विद्यालय में सहायक अध्यापक के रूप में कार्यरत है. उनके परिवार में 6-7 सदस्य शिक्षक हैं. तत्कालीन बेरमो एसडीओ अनंत कुमार ने भी स्कूल पहुंच कर बुनियादी शिक्षक झब्बूलाल महतो की प्रशंसा की थी. इनके पढ़ाई हुए छात्र आज सीसीएल, रेलवे, शिक्षा विभाग, डिफेंस, बैंक, चिकित्सक के अलावा सरकारी शिक्षक के रूप में काम कर रहे हैं.
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