बोकारो थर्मल, गिरिडीह सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी द्वारा 21 मार्च को लोकसभा में नियम 377 के तहत डीवीसी द्वारा वर्ष 1950-51 में बोकारो थर्मल पावर प्लांट, मैथन व कोनार डैम परियोजना के निर्माण के लिए विस्थापित किये गये ग्रामीणों के मामले को उठाया गया था. इस पर विद्युत एवं नवीन और नवीकरणीय उर्जा के राज्य मंत्री श्रीपाद नाईक ने डीवीसी से उक्त मामले की जांच करवाते हुए जवाब दिया है. मामले को लेकर डीवीसी ने दिये गये जवाब में संबंध में कहा कि भू-अर्जन अधिनियम 1894 के तहत भूमि अधिग्रहित की गयी थी और सारी प्रक्रिया राज्य सरकार के संबंधित विभाग या विशेष भू-अर्जन अधिकारियों के द्वारा संचालित की गयी थी. विस्थापितों को मुआवजे के रूप में जमीन के बदले जमीन या नगद का विकल्प था. जहां तक पुनर्वासित के हक में भूमि नामांतरण का संबंध है, डीवीसी ने जमीन के बदले जमीन विकल्प के कार्यान्वयन लिए भी भूमि अणजत की थी और उस पर विस्थापितों को बसाने के पश्चात सर्वे करके खतियान और नक्शे जारी कर दिये थे. साथ ही विस्थापितों/पुनर्वासितों को भी आवंटित भूमि के समस्त विवरण के साथ पर्चा निर्गत कर दिया था. झारखंड राज्य में नामांतरण के आवेदन के लिए ऑनलाइन व्यवस्था है. डीवीसी ने अणजत भूमि का नामांतरण पहले अपने हक में करने के लिए संबंधित अंचल कार्यालयों में समस्त उपलब्ध भू-अर्जन संबंधी दस्तावेजों के साथ आवेदन किया है. निगम के हक में नामांतरण हो जाने के पश्चात पुनर्वासित अपने हक में नामांतरण के लिए ऑनलाइन आवेदन कर सकेंगे.
रोजगार के मसले पर कहा
रोजगार के मसले पर कहा कि डीवीसी ने झारखंड में स्थानीय, विस्थापित, परियोजना प्रभावित व्यक्तियों (पीएपी) को रोजगार प्रदान करने के संबंध में 29.08.2016 और 02.05.2024 को कार्यालय ज्ञापन जारी किये हैं. इसके अंतर्गत स्थानीय उम्मीदवारों को रोजगार अधिनियम, 2021 के प्रावधानों के अनुसार विभिन्न क्षेत्रीय संरचनाओं/प्रतिष्ठानों/परियोजनाओं में नया एएमसी-एआरसी कार्यों को निष्पादित करने वाली एजेंसियों के तहत विभिन्न अकुशल कार्यों के लिए केवल स्थानीय/विस्थापित/परियोजना प्रभावित व्यक्तियों को ही नियोजित किया जायेगा. डीवीसी विभिन्न परियोजनाओं में अकुशल कामगारों को काम पर लगाने के लिए इस नीति का अनुसरण करता है. ठेका कामगारों को उनकी कौशल श्रेणियों के अनुसार केन्द्रीय न्यूनतम मजदूरी का भुगतान किया जाता है. इपीएफ, इएसआइ और अन्य सांविधिक भुगतानों को सख्ती से संकलित किया जाता है. विस्थापितों के आर्थिक विकास के लिए डीवीसी ने 2013 में छोटे ठेके देने की नीति शुरू की. इसके अतिरिक्त डीवीसी द्वारा विस्थापित लोगों की आजीविका संवर्धन के लिए मछली पालन, मृदा परीक्षण कार्ड वितरण, कौशल विकास से संबंधित कार्यक्रम भी चला रहा है. वर्तमान में डीवीसी ग्राम विकास सलाहकार समिति की सिफारिशों के आधार पर विस्थापितों की विकासात्मक आवश्यकताओं को प्राथमिकता दे रहा है. डीवीसी की पुरानी परियोजनाओं में खाली पड़े क्वार्टरों के सार्थक उपयोग व राजस्व प्राप्त करने के उद्देश्य से एक नीति तैयार की गयी है, जिसके तहत उन क्वार्टरों का आवंटन में उन व्यक्तियों के लिए विशेष रियायत का प्रावधान किया है, जिन्होंने डीवीसी परियोजनाओं के लिए भूमि दी है. सांसद प्रतिनिधि जितेंद्र यादव का डीवीसी द्वारा लोकसभा में सांसद के उठाये गये प्रश्न पर दिये गये जवाब में कहा कि डीवीसी ने दिये गये जवाब में सांसद के साथ-साथ लोकसभा को भी गुमराह करने का काम किया है.
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