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कोरोना से जंग में कोयले का डिस्पैच-उत्पादन हुआ प्रभावित

राकेश वर्मा, बेरमो : कोरोना संक्रमण के कारण पिछले कई दिनों से जारी लॉकडाउन का असर कोल इंडिया में भी देखने को मिल रहा है. कोल इंडिया की सभी अनुषंगी कंपनियों में कोयले का उत्पादन व डिस्पैच पर इसका असर पड़ा है. लॉकडाउन के कारण कोल इंडिया व इसकी कई अनुषांगिक कंपनियों ने वित्तीय वर्ष […]

राकेश वर्मा, बेरमो : कोरोना संक्रमण के कारण पिछले कई दिनों से जारी लॉकडाउन का असर कोल इंडिया में भी देखने को मिल रहा है. कोल इंडिया की सभी अनुषंगी कंपनियों में कोयले का उत्पादन व डिस्पैच पर इसका असर पड़ा है. लॉकडाउन के कारण कोल इंडिया व इसकी कई अनुषांगिक कंपनियों ने वित्तीय वर्ष 2019-20 में अपना उत्पादन लक्ष्य प्राप्त नहीं कर सका था. रोजाना दो लाख टन उत्पादन की जगह घट कर 40-50 हजार टन उत्पादन रह गया है. प्रबंधकीय सूत्रों के अनुसार लॉकडाउन की वजह पावर प्लांटों में खपत कम होने से डिस्पैच प्रभावित हुआ है और इस कारण साइडिंग में स्टॉक बढ़ता जाने से कोलियरियों व परियोजनाओं में उत्पादन का ग्राफ गिरता जा रहा है.

सभी साइडिंग ओवर स्टॉक : प्रबंधकीय सूत्रों के अनुसार लॉकडाउन के कारण देश की कई कंपनियां बंद हैं और पावर का डिमांड भी घट गया है. देश के थर्मल पावर प्लांटों ने अपने यहां 40 दिनों का कोल स्टॉक बताकर कोल इंडिया से रेल व रोड से कोयला लेना बंद कर दिया है. दूसरी ओर कोल इंडिया को रेलवे रैक से कोयला भेजने के लिए रैक भी नहीं मिल रहा है. भविष्य में डिस्पैच भी प्रबंधन के लिए बड़ा संकट बनेगा. कंपनी अपनी कोलियरियों में एक सीमा तक ही कोल स्टॉक रख सकता है.

जानकारी के अनुसार सीसीएल की हर रेलवे साइडिंगों में 25-30 हजार टन स्टॉक हो गया है. कोलियरी के फेस से साइडिंग तक कोल ट्रांसपोर्टिंग भी प्रभावित हुई है. साइडिंग के जाम होने से परियोजना का प्रोडक्शन पर भी असर पड़ा है.पिछले पांच दिनों का डिस्पैच-उत्पादन ग्राफसीसीएल पहले जहां औसतन दो लाख से ज्यादा कोल डिस्पैच रेल व रोड (डेढ़ लाख टन रेल से तथा 70 हजार टन रोड से) के माध्यम से करता था. फिलहाल वह घटकर रोजाना 50-60 हजार टन पर आ गया है. सभी एरिया का कोल डिस्पैच रोजाना दैनिक क्षमता से आधा से भी कम हो गया है. सीसीएल से पहले जहां रोजाना औसतन 40-45 रेलवे रैक से कोयला देश के अन्य राज्यों के पावर प्लांटों में जाता था, वह 12-15 रैक पर आ गया है.

इसी तरह रोजाना दो लाख के करीब होनेवाला उत्पादन भी घटकर 40-50 हजार टन पर आ गया है. गत 10 मार्च को सीसीएल ने रैक से 80 हजार टन (20 रैक) तथा रोड से 14 हजार टन कोल डिस्पैच किया. 9 मार्च को 76 हजार टन रेल से (18 रैक) तथा रोड से 11 हजार टन कोल डिस्पैच किया. 8 मार्च को 61 हजार टन रेल से (15 रैक) तथा रोड से 07 हजार टन कोल डिस्पैच किया गया. 7 मार्च को 57 हजार टन रेल से (14 रैक) तथा रोड से 14 हजार टन के अलावा 6 मार्च को 65 हजार टन रेल से (16 रैक) तथा रोड से 12 हजार टन कोल डिस्पैच किया गया. विदित हो कि सीसीएल का कोयला डीवीसी, एनटीपीसी, टीटीपीएस के अलावा देश के अन्य कई राज्यों के थर्मल पावर प्लाटों में जाता है.

बेरमो की तीनों एरिया भी प्रभावित : बेरमो कोयलांचल अंतर्गत सीसीएल की ढोरी, बीएंडके व कथारा एरिया का भी रोजाना कोयला उत्पादन व कोयले का संप्रेषण काफी प्रभावित हुआ है. उक्त तीनों एरिया से रोजाना 40-50 हजार टन कोल प्रोडक्शन व कोल डिस्पैच के स्थान पर वर्तमान में 15-20 हजार टन कोयला उत्पादन व कोयले का स‍ंप्रेषण मुश्किल से हो पा रहा है.

साइडिंग में स्टॉक बढ़ने से उत्पादन प्रभावित : जीएम सीसीएल बीएंडके एरिया के महाप्रबंधक एम कोटेश्वर राव तथा कथारा एरिया के महाप्रबंधक एमके पंजाबी कहते हैं कि सीसीएल से संबद्ध थर्मल पावर प्लाटों के पास प्रचुर कोल स्टॉक होने तथा लॉकडाउन के कारण देश में ऊर्जा खपत में 30 फीसदी कमी के कारण कोल डिमांड घटी है. फलत: डिस्पैच प्रभावित हुआ है. सभी साइडिंग में स्टॉक बढ़ता जा रहा है. साइडिंग में स्टॉक बनने से कोल प्रोडक्शन पर भी गहरा असर पड़ा है.

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