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Bokaro News : 100 माह से अधूरा है वेज रिवीजन

Bokaro News : फुल एनजेसीएस मीटिंग आयोजित हुए भी 15 माह से अधिक समय बीता, कर्मियों में मान्यता प्राप्त यूनियन के साथ सेल-बीएसएल प्रबंधन के प्रति आक्रोश

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बोकारो, बोकाराे स्टील प्लांट सहित सेल कर्मियों का वेज रिवीजन 100 माह से अधूरा है. इसके खिलाफ बीएसएल अनधिशासी कर्मचारी संघ (बीएकेएस) बोकारो ने दिल्ली उच्च न्यायालय में मुकदमा दर्ज कराया है. सोमवार को संघ के पदाधिकारी ने बताया कि वेज रिवीजन को ले कर्मियों में मान्यता प्राप्त यूनियन के साथ सेल-बीएसएल प्रबंधन के प्रति आक्रोश व्याप्त है. बताया कि फूल एनजेसीएस मीटिंग आयोजित हुए भी 15 माह से अधिक समय हो गया है. अंतिम मीटिंग 20 जनवरी 2024 को आयोजित की गयी थी.

कहा कि 21-22 अक्तूबर 2021 को एनजेसीएस संविधान का उल्लंघन कर किसी तरह इंटक, एचएमएस व एटक के नेताओं के हस्ताक्षर से वेज रिवीजन का मेमोरेंडम ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एमओयू) किया गया. यहां उल्लेखनीय है कि दूसरे महारत्ना कंपनियों व सेल अधिकारियों के मुकाबले 02 प्रतिशत कम एमजीबी व 8.5 प्रतिशत कम पर्क्स प्रतिशत पर समझौता किया गया. इसके बाद तीन साल छह माह बीत जाने के बाद भी ना तो 39 माह के एरियर पर समझौता किया गया और न हीं पर्क्स के एरियर पर भी कोई बात हुई. जबकि सेल अधिकारियों को एक अप्रैल 2020 से पर्क्स को प्रभावी कर उसका 19 माह का एरियर दिया गया.

बीएसएल-सेल कर्मियों के लंबित मुद्दे :

अधिकारियों व दूसरी महारत्ना कंपनियों की तर्ज पर 15 प्रतिशत एमजीबी व 35 प्रतिशत पर्क्स समझौता, 39 माह का फिटमेंट एरियर व 58 माह का पर्क्स एरियर का भुगतान, इंसेंटिव रिवार्ड में संशोधन और उसका एरियर, हाउस पर्क्युजीट में अधिकारियों की तर्ज पर 50 प्रतिशत आयकर छूट, ग्रेड वाइज व क्लस्टर वाइज सम्मानजनक पदनाम, एस-11 ग्रेड में अटके वरिष्ठ कर्मचारियों को स्टैगेनेशन इंक्रीमेंट की सुविधा, 15 सीएल, 30 इएल व सात आरएच सहित होली, दिवाली, दशहरा आदि को पेड होली डेज घोषित करना, एनजेसीएस में सिर्फ सीक्रेट बैलेट इलेक्शन से निर्वाचित रिकॉगनाईज्ड ट्रेड यूनियन नेता को ही सदस्य, एनजेसीएस स्तर पर वेलफेयर कमेटी बनाना, एनजेसीएस मीटिंग का वार्षिक कैलेंडर बनाना शामिल है.

प्रावधानों का नहीं हो रहा पालन : हरिओम

बीएकेएस बोकारो के अध्यक्ष हरिओम ने कहा कि सेल में ना तो औद्योगिक विवाद अधिनियम 1947 के प्रावधानों का पालन हो रहा है ना ही कारखाना अधिनियम के प्रावधानों का. पूरा इंडस्ट्रियल रिलेशन ही धाराशायी हो गया है. बाहरी नेताओं को कर्मचारियों के मुद्दों से कोई मतलब नहीं रह गया है.

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