कसमार, कसमार बाजार टांड़ स्थित प्राचीन शिवालय में भगता परब को लेकर पाट भ्रमण शुरू हो गया है. कसमार, तेलमुंगा, फुटलाही, सुइयाडीह, सुरजूडीह, धधकिया, मोचरो समेत आसपास के गांवों के बाद गुरुवार को मोचरो व कसमार में मां पार्वती का पाट (काष्ठ की मूर्ति) का भ्रमण कराया गया.
गांव में साफ-सफाई व पवित्रता का भी रखा जाता है ध्यान
इस दौरान निर्मल महतो ने बताया कि धूमल के बाद अलग-अलग गांवों में पाट निकलने की प्रक्रिया शुरू हुई है. इसमें मुख्यतः शिवालय में धूप व अगरबत्ती जलायी जाती है. धूमल के साथ ही कसमार समेत आसपास के गांवों में पूजा संपन्न होने तक मांस-मंदिरा एवं लहसून-प्याज का सेवन स्वतः और पूर्णतः बंद हो जाता है. इस दौरान प्रत्येक घरों में विशुद्ध शाकाहारी भोजन बनता है. केवल इन गांवों में ही नहीं, दूर-दराज में रहने वाले भक्तिया श्रद्धालु भी धूमल पड़ने के बाद मांसाहारी भोजन का सेवन बंद कर देते हैं. साथ ही, गांव में साफ-सफाई और पवित्रता का भी पूरा ख्याल रखा जाता है.
शिवालय के समक्ष बजाये जाते हैं वाद्य यंत्र
धूमल पड़ने के बाद प्रत्येक शाम को शिवालय के समक्ष ढाक, नगाड़ा व शहनाई जैसे तीन प्रकार के वाद्य यंत्रों के जरिये 11 प्रकार के अलग-अलग सुरों में बाजा बजाए जाते हैं. उसकी धुन पर श्रद्धालु नृत्य भी करते हैं. उन्होंने बताया कि रविवार को संयोत के दौरान मंडप थान खूंटा का पुनर्स्थापना एवं एवं सोमवार को उपवास के बाद दिनभर पूजा अर्चना का दौर शिवालय में बूढ़ा बाबा के मंदिर में चलेगा. सोमवार की रात्रि बंगाल की टीम के द्वारा छऊ नृत्य का भी आयोजन किया जाएगा. पाट भ्रमण के दौरान हृदय महतो, योगेंद्र मिश्रा, गुड्डू मिश्रा, रतन कपरदार, प्रमोद सिंह श्रद्धालु मौजूद थे.
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