बोकारो, आउटसोर्सिंग स्वास्थ्यकर्मियों की हड़ताल पर रहने का असर धीरे-धीरे दिखने लगा है. पांचवें दिन शुक्रवार को भी हड़ताल जारी रही. नेत्र ऑपरेशन रुका हुआ है. 30 से अधिक मरीज अपने ऑपरेशन का इंतजार कर रहे है. इसके अलावा सिजेरियन, बंध्याकरण सहित अन्य छोटे-बड़े ऑपरेशन को टाल दिया गया है. कारण ऑपरेशन थियेटर भी आउटसोर्सिंग स्वास्थ्यकर्मियों के सहारे चल रहा था. टेक्नीशियन नहीं होने पर ऑपेरशन करने का जोखिम चिकित्सक भी नहीं ले रहे है. ऐसे में अस्पताल आनेवाले मरीज को लौटना पड़ रहा है. निबंधन कक्ष में भी भीड़ नहीं दिख रही है. दवा काउंटर पर भी सन्नाटा पसरा हुआ है. हड़ताल से आमजन भी परेशान है.
ओपीडी हॉल व कक्ष की सफाई खुद कर रहे स्वास्थ्यकर्मी
जो अस्पताल 24 घंटे चकाचक रहता था, वहां आज अस्पताल में गंदगी का अंबार जमा था. अस्पताल आने-जानेवाले मरीज व परिजन नाक पर रूमाल रख कर गुजर रहे थे. ओपीडी कक्ष में कार्यरत स्वास्थ्यकर्मी अपने कक्ष व ओपीडी बरामदे (मरीज के बैठनेवाले जगह) को खुद से साफ कर रहे थे. इसके बाद भी दुर्गंध से हाल-बेहाल था. इमरजेंसी कक्ष से मरीज उठकर चले जा रहे है. इमरजेंसी कक्ष में सिविल सर्जन डॉ अभय भूषण प्रसाद, डीएस डॉ ए कुमार, पूर्व डीएस डॉ अरविंद कुमार, डॉ कामख्या, डॉ सफी नियाज, डॉ नजमा सहित अन्य चिकित्सक ड्यूटी पर थे.बकाया मानदेय मांग रहे हड़ताली कर्मी
यही हाल चास अनुमंडल अस्पताल, चास सीएचसी सहित अन्य सभी सरकारी अस्पतालों की है. हड़ताल पर बैठे आउटसोर्सिंग स्वास्थ्यकर्मी लगातार अपना तीन से छह माह तक का बकाया मानदेय मांग रहे है. साथ ही अपने हक व अधिकार को दुरुस्त करने की लड़ाई लड़ रहे हैं. पांच दिन बीतने के बाद भी ना तो स्वास्थ्य विभाग और न ही जिला प्रशासन ने किसी तरह की कोई पहल की है. हड़ताल में सीपी सिंह, सागर राम, सरस्वती, विकास, मंजू, अनिल सिंह, सोनम, राज कुमार टुडू, छोटू, शंकर, रेखा, विकास, बबली, सोनल देवी, विजय ठाकुर, उमेश मिंज, विक्रम, लखीकांत, अश्वनी कुमार, गोवर्धन, मनीष सहित दर्जनों स्वास्थ्यकर्मी शामिल है.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है