बोकारो, पेन्हीं न बलम जी पियरिया, छठी बहंगी उठाय, दउरा घाटे पहुंचाए…लोक आस्था का महापर्व चैती छठ को ले श्रद्धालुओं का उत्साह चरम पर है. सूर्योपासना के चार दिवसीय पर्व को लेकर बुधवार को व्रतियों ने नियम-निष्ठा के साथ खरना की पूजा-अर्चना की. शुद्धता के साथ खरना का प्रसाद बनाया. प्रसाद ग्रहण करने के साथ व्रतियों ने निर्जला उपवास शुरू किया. छठ में खरना पूजा का विशेष महत्व होता है. मिट्टी के चूल्हे पर प्रसाद बनाने की परंपरा है. व्रतियों ने पूजा के दौरान बने प्रसाद का भोग लगाया. खरना पूजा के बाद से ही व्रतियों द्वारा प्रसाद का वितरण किया जाता है. इसका विशेष महत्व माना जाता है. लोग खरना की पूजा का प्रसाद निश्चित रूप से ग्रहण करते हैं. प्रसाद खाने-खिलाने का दौर देर शाम तक चला.
घाटों पर तैयारी को दिया जा रहा अंतिम रूप
खरना के बाद अब छठ घाटों पर तैयारी को अंतिम रूप दिया जा रहा है. गुरुवार को अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देने की तैयारी में लोग जुट गये हैं. शुक्रवार को उदयाचलगामी सूर्य अर्घ्य व व्रतियों के पारण के साथ पर्व का समापन होगा. अस्ताचलगामी सूर्य को शाम 6.10 बजे व उदयाचलगामी को सुबह 5.49 बजे अर्घ्य दिया जायेगा. खरना की पूजा के साथ ही छठ गीतों से पूरा माहौल भक्तिमय हो गया है.
सेवा शिविर में फल-फूल, दूध का होगा वितरण
छठव्रत अनुष्ठान के तीसरे दिन गुरुवार को व्रती निर्जला व्रत रखकर संध्या काल में अस्ताचलगामी भूवन भास्कर को अर्घ्य अर्पित करेंगी. दिनभर मुख्य प्रसाद ठेकुआ सहित विभिन्न प्रकार के पकवान बनाये जायेंगे. व्रतियां इन पकवानों को बनाने को लेकर भी विशेष नियम-निष्ठा बरतती हैं. चौथे दिन सोमवार को उगते सूर्य को ब्रह्म मुहूर्त में 5.49 बजे अर्घ्य अर्पित किया जायेगा. इसी के साथ सूर्य उपासना का पावन व्रत संपन्न हो जायेगा. शहर के प्रमुख छठ घाटों में सेवा और सत्कार को विभिन्न छठ पूजा समिति तैयार हैं. सेवा शिविर में फल-फूल, दूध का वितरण होगा.
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