दीपक सवाल, कसमार, चास-पुरुलिया मुख्य मार्ग पर पिंड्राजोरा में स्थित गवई बराज सर्दियों के मौसम में पिकनिक मनाने वालों का पसंदीदा स्थल बन गया है. चास प्रखंड मुख्यालय से लगभग 15 किमी की दूरी पर बसे इस स्थान की प्रसिद्धि केवल इसके प्राकृतिक सौंदर्य के कारण ही नहीं, बल्कि आसपास मौजूद ब्रिटिशकालीन धरोहरों के कारण भी है. सैलानी जब बराज के किनारे पिकनिक का आनंद लेते हैं, तो समीप स्थित ऐतिहासिक अवशेषों का दर्शन करना नहीं भूलते. बराज के आसपास आज भी अंग्रेजी शासनकाल की उपस्थिति के प्रमाण दिखायी देते हैं. घोड़ों का अस्तबल, पुरानी पानी टंकी, बर्फ व बिजली निर्माण केंद्र, कब्रिस्तान और अनेक अन्य संरचनाओं के अवशेष यहां मौजूद हैं. इन अवशेषों को देखने बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. पिंड्राजोरा थाना से कुछ दूरी पर गवई पुल से पहले दायीं ओर का रास्ता सीधे बराज तक जाता है, जहां घने पेड़ों के बीच फैली शांत वादियां पिकनिक मनाने वालों का मन मोह लेती हैं. करीब चार दशक पहले बने इस बराज पर हर साल दिसंबर और जनवरी में भारी भीड़ उमड़ती है. विद्यालयों के समूह, परिवार और युवाओं की टोली यहां दिनभर समय बिताने के लिए पहुंचती है. शाम के समय बराज क्षेत्र की प्राकृतिक छटा देखने लायक होती है. हाल के वर्षों में बराज का एक हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया था, जिसके बाद पानी का प्रवाह कम हो गया. लगभग 130 करोड़ रुपये की लागत से इसका जीर्णोद्धार कार्य हुआ है, जिसमें 85 किमी लंबी नई नहर का निर्माण शामिल है. इससे चास और चंदनकियारी प्रखंड के 54 गांवों की लगभग 4,636 हेक्टेयर कृषि भूमि सिंचित हो सकेगी. स्थानीय लोगों का मानना है कि यदि सरकार इस स्थान को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करे, तो यह बोकारो के पर्यटन मानचित्र पर एक बड़े आकर्षण के रूप में स्थापित हो सकता है.
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