बोकारो, चास थाना क्षेत्र में गुरुवार की देर रात पुलिस की गाड़ी (पीसीआर वैन संख्या 14) की टक्कर से विकास कुमार (27 वर्ष) की मौत मामले में 48 घंटे बाद भी पुलिस ने पीड़ित परिजनों से मुलाकात नहीं की. सनद रहे कि इस संबंध में चास थाना में मृतक के पिता सेक्टर दो निवासी देवेंद्र कुमार सिंह ने शुक्रवार को प्राथमिकी दर्ज करायी थी. पुलिस की इस संवेदनहीनता को लेकर लोगों में रोष है. वहीं दूसरी ओर चास थाना पुलिस अभी भी अनुसंधान करने की बात कह रही है.
घर का इकलौता चिराग था विकास
मूल रूप से बिहार के बक्सर के रहनेवाले देवेंद्र कुमार सिंह का इकलौता बेटा था विकास. वह रामगढ़ के एक निजी कंपनी में कार्यरत था. उसकी कमाई से ही घर-परिवार चल रहा था. उसकी मौत के बाद घर में सन्नाटा पसरा हुआ है. पिता देवेंद्र सिंह बात करते हुए रो पड़े. उन्होंने बताया कि पुलिस वालों ने अबतक उनसे किसी तरह की कोई बातचीत भी नहीं की है. बीजीएच में सांसद व विधायक आये थे. उन लोगों ने घटना के बारे में जानकारी ली. थाना में मामला भी दर्ज कराया गया. श्री सिंह कहते हैं कि विकास ही उनके जीवन का सहारा था. अब वो लोग क्या करेंगे.
क्या है मामला
गुरुवार की रात विकास अपने दो साथियों के साथ एक समारोह में शामिल होने के लिए सेक्टर दो से बाइक से चास थाना क्षेत्र गया था. चास ब्लॉक के रास्ते में चास थाना की पीसीआर वैन संख्या 14 ने उसकी बाइक में टक्कर मार दी. टक्कर की वजह से बाइक पर सवार तीनों युवक गिर गये. आरोप है कि इसके बाद पीसीआर वैन में बैठे पुलिस वाले उनकी मदद की जगह वहां से भाग गये. इलाज में देरी की वजह से विकास की मौत घटनास्थल पर ही हो गयी, जबकि उसके दो साथी शुभम व अभिनव को इलाज के लिए सेक्टर चार थाना क्षेत्र के बोकारो जनरल अस्पताल में दाखिल कराया गया. सांसद ढुलू महतो व बोकारो विधायक श्वेता सिंह ने परिजनों से मिलकर ढांढस बंधाया और कहा कि दोषियों पर कार्रवाई होगी.
बोले अधिकारी
चास एसडीपीओ ने बताया कि मामले को लेकर प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई होगी. सरकारी नियमानुसार सड़क दुर्घटना में मुआवजा दिलाने को लेकर पहल की जायेगी.उठ रहा सवाल :
जब पुलिस की है गाड़ी, फिर कैसे पता नहीं कौन बैठा थामामले में पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठ रहा है. सनद रहे कि हर पुलिस की कोई भी गाड़ी गश्त में निकलती है, तो उसकी लॉगिंग होती है. उसमें यह दर्ज होता है कि कौन-कौन गाड़ी में है. अगर इस नियम का पालन बोकारो पुलिस भी करती है, तो फिर कैसे नहीं पता कि उस गाड़ी को कौन चला रहा है और उसमें कौन बैठा था. यह भी माना जाये कि गलती से गाड़ी से धक्का लग गया, तो फिर क्यों नहीं पुलिस ने गाड़ी रोकी और उन्हें अस्पताल पहुंचाया. कहीं यह मामले को रफा-दफा करने की तैयारी तो नहीं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है