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Bokaro News : 74.38 एकड़ वनभूमि घोटाले की सीआइडी ने शुरू की जांच, कागजात खंगाले

Bokaro News : एसपी अजय कुमार के नेतृत्व में बोकारो पहुंची जांच टीम, चास सीओ कार्यालय में दिन भर घोटाले से जुड़े कागजात को खंगाला, कार्यालय में घंटों डटे रहे सीआइडी एसपी, डीएफओ व अन्य अधिकारी, वर्ष 2013 में तेतुलिया मौजा में जंगल साल भूमि को बना दिया था पुरानी परती भूमि

बोकारो, झारखंड के क्राइम इन्वेस्टिगेशन डिपार्टमेंट (सीआइडी) की टीम ने वर्षों पूर्व हुए 74.38 एकड़ जमीन घोटाले की जांच शुरू कर दी है. सीआइडी के पुलिस अधीक्षक अजय कुमार के नेतृत्व में एक टीम शुक्रवार को बोकारो पहुंची. अधिकारियों ने दिन भर घोटाले से जुड़े कागजातों की जांच की. जैसे ही जांच की खबर बोकारो के सफेदपोशों व अधिकारियों को लगी, उनमें हड़कंप मच गया. जानकारी के अनुसार, एसपी अजय कुमार ने चास अंचलाधिकारी कार्यालय में डीएफओ बोकारो रजनीश कुमार आदि के साथ घंटों जमीन घोटालों से जुड़े कागजातों की छानबीन की. इसी घोटाले में चास के तत्कालीन सीओ निर्मल टोप्पो बर्खास्त कर दिये गये थे. अब मामले की जांच सीआइडी कर रही है. यही नहीं, सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित सेंट्रल एम्पावर्ड कमेटी (सीइसी) ने छह फरवरी को राज्य के मुख्य सचिव, बोकारो डीसी, बोकारो डीएफओ आदि को दिल्ली तलब किया था. बैठक के बाद तय समय में विधिवत रिपोर्ट मांगी थी.

अधिकारियों ने गड़बड़ी कर एक कंपनी को दे दी थी वनभूमि

यह मामला वर्ष 2022 का है. बोकारो के कुछ प्रशासनिक अधिकारियों ने कई कानूनी गलतियां कर एक कंपनी को वन विभाग की 74.38 एकड़ जमीन दे दी थी. यह धनबाद के जिला प्रशासन के उस मामले से जुड़ा है, जिसमें वर्ष 2013 में तेतुलिया मौजा के चास थाना के सर्वे प्लॉट नंबर- 426/450 की भूमि को जंगल साल (वन विभाग की भूमि) की जगह पुरानी परती के रूप में प्रकाशित की गयी थी. इसके बाद जब महेंद्र कुमार मिश्र ने सीएनटी एक्ट की धारा-87 के तहत अपनी मात्र 10 डिसमिल जमीन के लिए बोकारो इस्पात परियोजना प्राधिकार भारत सरकार के खिलाफ वाद- 4330/2013 दायर किया, तो इसमें बोकारो जिला प्रशासन की एंट्री हुई. श्री मिश्रा ने भले ही मामला दायर किया, लेकिन वर्ष 2014 के बाद उन्होंने खुद को किनारे कर लिया.

खारिज मामला जिंदा करने को महेंद्र मिश्र के फर्जी हस्ताक्षर से दायर की याचिका

महेंद्र कुमार मिश्र की अनुपस्थिति को आधार बनाकर संबंधित कोर्ट ने 19 जनवरी 2015 को मामला खारिज कर दिया. खारिज मामले को जिंदा करने के लिए श्री मिश्रा के फर्जी हस्ताक्षर से एक आवेदन कोर्ट को दिया गया. इस आवेदन में इजहार हुसैन को मध्यपक्षीय बनाया गया. 30 जनवरी 2015 मामला खारिज होने के महज 10 दिन के अंदर इसे पुनर्जीवित कर दिया गया. सारी जानकारी बोकारो के वन प्रमंडल पदाधिकारी रजनीश कुमार ने आयुक्त उत्तरी छोटनागपुर प्रमंडल को अपने पत्रांक-133/जनवरी 2025 के माध्यम से दी है. जमीन के इस मामले की सुनवाई कर रहे कोर्ट में महेंद्र मिश्रा की 10 डिसमिल जमीन की शुद्धि के आवेदन में टेंपरिंग कर उसे 74.38 एकड़ कर दिया गया. अंत में इजहार हुसैन और अन्य की कंपनी उमायुश मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड के नाम 74.38 एकड़ जमीन वर्ष 2022 में कर दी गयी. जब श्री मिश्रा को सारी जानकारी मिली, तो उन्होंने इजहार हुसैन, अख्तर हुसैन, रहमत हुसैन, ललन सिंह और शैलेश सिंह पर न्यायालय में आपराधिक मामला-5317/2024 दर्ज कराया. इसके अलावा, बोकारो वन प्रमंडल पदाधिकारी ने सेक्टर 12 थाना में सारे षड्यंत्र को देखते हुए मामला 0032/2024 दायर किया. इसकी जांच सीआइडी कर रही है.

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