Bokaro News| बोकारो, धर्मनाथ कुमार : क्रिकेट की दुनिया में छोटे शहरों और गांवों से निकले कई खिलाड़ियों ने नाम, यश कमाया है. यह सिर्फ मनोरंजन तक ही सीमित नहीं है. युवा इसमें बेहतरीन करियर तलाश रहे हैं. बोकारो में भी खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है. यहां क्रिकेट को लेकर युवाओं में जबरदस्त उत्साह है. यहां कई ऐसे प्रतिभाशाली खिलाड़ी हैं, जो बड़े मंच पर अपना हुनर दिखाने का माद्दा रखते हैं, लेकिन संसाधनों की भारी कमी के कारण जिले के खिलाड़ियों की प्रतिभा निखर नहीं पा रही.
कुंठित हो रही बोकारो के क्रिकेटर्स की प्रतिभा
महंगे क्रिकेट किट और अभ्यास के लिए पर्याप्त सुविधाओं के अभाव में खिलाड़ियों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. जिले में खेल संसाधनों और आधुनिक क्रिकेट स्टेडियम की कमी के कारण उनकी प्रतिभा कुंठित हो रही है. जिले में एक भी समुचित क्रिकेट स्टेडियम नहीं है, जिससे खिलाड़ी अच्छे से अभ्यास कर सकें. उन्हें ऊबड़-खाबड़ मैदान में अभ्यास करना पड़ता है और टूर्नामेंट खेलने के लिए संघर्ष करना पड़ता है. शनिवार को सेक्टर तीन ट्रेनिंग हॉस्टल में आयोजित प्रभात खबर आपके द्वार के दौरान खिलाड़ियों ने बातचीत में अपनी समस्याएं खुलकर रखीं.
खेल सुविधाओं का है घोर अभाव
क्रिकेटर खिलाड़ियों का कहना था कि यदि आधुनिक स्टेडियम, खेल सामग्री और सरकारी स्तर पर प्रशिक्षण की सुविधा दी जाये, तो बोकारो से भी एमएस धोनी और सचिन जैसे खिलाड़ी निकल सकते हैं. जिले के लगभग 5,000 से अधिक क्रिकेटर दिन-रात मेहनत कर रहे हैं, लेकिन खेल सुविधाओं के अभाव में उन्हें कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. क्रिकेटर ने बताया कि न तो सरकार और न ही स्थानीय प्रशासन खिलाड़ियों को उचित मंच प्रदान कर रहा है.
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बोकारो में बने एक स्टेडियम
बोकारो में एक बीएसएल का क्रिकेट स्टेडियम ग्राउंड है, जहां केवल क्रिकेट टूर्नामेंट का आयोजन हो सके. कुछ मैदान हैं, जहां पर क्रिकेटर जैसे-तैसे अभ्यास करते हैं और अपने सपनों को पूरा करने के लिए निरंतर प्रयासरत हैं. क्रिकेटर ने झारखंड सरकार से आग्रह किया है कि बोकारो में किसी उपयुक्त स्थान पर केवल खिलाड़ियों के लिए एक समर्पित स्टेडियम का निर्माण कराया जाए, जिससे वे राष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना सकें.
क्या बोले खिलाड़ी?

क्रिकेटर सोमनाथ कहते हैं कि जिले में एक भी ऐसा क्रिकेट ग्राउंड नहीं है, जो राष्ट्रीय या अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हो. सरकारी स्तर पर भी कोई क्रिकेट एकेडमी भी नहीं है, जिससे छात्रों को प्रैक्टिस के साथ बड़े मैच खेलने का अवसर मिल सके.
अभिषेक कुमार कहते हैं कि अपना भविष्य बनाने के लिए दिन-रात मेहनत करते हैं. लेकिन, यहां एक भी क्रिकेट ग्राउंड व अन्य खेल सुविधाएं सही नहीं है. यहां के क्रिकेट खिलाड़ी एक टूर्नामेंट का आयोजन करने के लिए भी परेशान रहते है.


अपूर्व ओम कहते हैं कि क्रिकेट कोच के साथ ही कोई ऐसा डाइटीशियन हो जो हम लोगों को यह बता सके कि खिलाड़ियों को क्या खाना चाहिये और क्या नही. सही डाइट से ही खिलाड़ियों की क्षमता बढ़ती है. मुफ्त मेडिकल सुविधा मिले.
राज कुमार कहते हैं कि क्रिकेट किट महंगी होती है और कई होनहार खिलाड़ी सिर्फ इस वजह से अपने सपने पूरे नहीं कर पाते. सरकारी खेल विभाग की ओर से किसी तरह की स्कॉलरशिप या आर्थिक सहयोग नहीं मिलता.


शौर्य कुमार साह कहते हैं कि क्रिकेट किट काफी महंगी आती है. आम तौर पर खिलाड़ी इसे खरीद नहीं पाते. अगर किट खरीद में ही सब्सिडी मिले, तो खिलाड़ियों को प्रैक्टिस करने में आसानी होगी. इस दिशा में जल्द पहल करनी चाहिए.
क्या हैं क्रिकेटर्स की शिकायतें
- क्रिकेट के लिए बीडीसीए के पास नहीं है अपना मैदान.
- खेल विभाग की तरफ से कोई आर्थिक मदद नहीं मिलती.
- प्रतिभावान खिलाड़ी को भी किसी तरह की स्कॉलरशिप नहीं मिलती.
- क्रिकेट का कोई मानक के अनुरुप मैदान नहीं है.
- शहर के स्टेडियम में प्रैक्टिस के लिए व्यवस्था नहीं है.
खिलाड़ियों के सुझाव
- क्रिकेट खिलाड़ियों की प्रैक्टिस के लिए खेल मैदान आरक्षित हों.
- सरकारी स्तर पर ट्रेनिंग सेंटर बने.
- सरकारी कोच मिले जो अंतर्राष्ट्रीय स्तर के नियमों के अनुसार कोचिंग दे.
- प्रशासन की तरफ से समय-समय पर क्रिकेट प्रतियोगिताओं का आयोजन कराया जाये.
- गरीब बच्चों को ट्रेनिंग के लिये क्रिकेट किट वितरण की जाये.
- जिला क्रिकेट एसोसिएशन में भेदभाव को खत्म कर निष्पक्ष चयन प्रक्रिया लागू की जाये.
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