बोकारो, दुर्गा पूजा का काउंटडाउन शुरू हो गया है. 22 सितंबर को कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्र शुरू होगा. बोकारो-चास का बाजार भी पूजा को लेकर तैयार हो गया है. लेकिन, सेल-बीएसएल में बोनस को लेकर अभी तक तस्वीर साफ नहीं हो पायी है. मान्यता प्राप्त यूनियन, मतलब एनजेसीएस यूनियन व उसके नेता अब तक शांत हैं. बोनस की मांग को लेकर धरना-प्रदर्शन तो दूर की बात, अभी तक इनका कोई बयान भी नहीं आया है. उधर, एक-दो नन एनजेसीएस यूनियन बोनस को लेकर मैदान में है. सबसे पहले बीएसएल अनाधिशासी कर्मचारी संघ (बीएकेएस) ₹1,35,000 बोनस की डिमांड के साथ सड़क पर उतर चुका है. मजदूर मैदान से इस्पात भवन तक पैदल मार्च आक्रोश-प्रदर्शन का कार्यक्रम हो चुका है. बोनस की मांग को लेकर एनजेसीएस यूनियन व सेल प्रबंधन के बीच 20 सितंबर को नयी दिल्ली में बैठक होगी. इसमें पांचों मान्यता प्राप्त यूनियन के नेता शामिल होंगे.
उत्पादन आधारित बोनस फॉर्मूला बनाने की मांग
बीएसएल-सेल कर्मियों का कहना है कि दूसरे पीएसयू जैसे कोल इंडिया में 93500 तक, एनएमडीसी में 1.5 लाख तक, नालको में 1.6 लाख तक, टाटा स्टील मे 3.25 लाख तक, ओएनजीसी/आइओसीएल/बीपीसीएल/एनटीपीसी/पावरग्रीड में पीआरपी का भुगतान हो रहा है. सेल चेयरमैन से लेकर सभी अधिकारी कर पूर्व लाभ का 05% पीआरपी ले रहे है, जबकि लगातार उत्पादन/मुनाफा बढ़ने के बावजुद कर्मियों को मात्र 25,000-26,500 बोनस मिल रहा है. कर्मी नाराज है. उत्पादन आधारित बोनस फाॅर्मूला बनाने की डिमांड कर्मी कर रहे है. बीएकेएस ने प्रतिकिलो 30 पैसे या उससे अधिक बोनस राशी (₹300 प्रति टन) का डिमांड किया है. 19 मिलियन टन क्रुड स्टील का उत्पादन होने पर कुल बोनस राशी ₹570 करोड़ बैठ रहा है, जिसको 42000 सेल कर्मियों से भाग देने पर प्रति कर्मचारी ₹1,35,000 तक बोनस बन सकता है.कर्मियों को प्रति टन उत्पादन बढ़ाने से मिलेगा लाभ
बीएकेएस ने उत्पादन आधारित बोनस से कई लाभ गिनाया है. कहा है कि उत्पादन आधारित बोनस से कई लाभ है, जिसके तहत कर्मचारी खुद उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रेरित होंगे. कर्मियों को प्रति टन उत्पादन बढ़ाने से प्रत्यक्ष लाभ मिल जायेगा. कर्मचारियों का कहना है कि वह सिर्फ उत्पादन के जिम्मेवार है. लाभ, टैक्स, डिप्रेशिएशन, कर्ज अदायगी, प्रोजेक्ट कॉस्ट आदि प्रक्रिया टॉप मैनेजमेंट के द्वारा की जाती है. सेल को ओर से बोनस का नाम एनुअल सेल परफॉर्मेंस लिंक्ड इंसेंटीव स्कीम दिया गया है. इसके निर्धारण के लिए काफी जटिल फार्मूला बनाया गया है. इसका निर्धारण तीन वर्ष के औसत बोनस, तीन वर्षो में लेबर प्रोडक्टिविटि में औसत वृद्धि, तीन वर्षो के महंगाई भत्ता में औसत वृद्धि व प्रबंधन द्वारा दिए गए स्पेशल फैक्टर 1.04 से गुणा करने के बाद निकाला जाता है. बता दें कि वर्ष 2022 में 28,000, 2023 में 23,000 व 2024 में 26,500 रुपये मिले थे.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

