सुनील तिवारी, बोकारो, दुनिया से रुखसत हो गया, लेकिन रूह रुखसत नहीं हुई, फरिश्ते ही आयेंगे, जो मेरी रूह को अंतिम विदाई दिलायेंगे… लगता है किसी शायर की ये पंक्तियां उनके लिए लिखी गयी होंगी, जिनका दाह संस्कार करके उन्हें विदा, तो कर दिया गया. लेकिन, रीति रिवाजों के साथ उनका आखिरी क्रिया कर्म नहीं हुआ. चास श्मशान घाट पर आधा दर्जन से अधिक अस्थियां मुक्ति के इंतजार में है. इन्हीं आधी-अधूरी अंतिम संस्कार की रीतियों को पूरा करके दिवंगत आत्माओं को मोक्ष दिलाने की कोशिश श्री श्मशान काली मंदिर ट्रस्ट कर रही है. इसके लिये समिति ने डीसी से आदेश मांगा था, जिसकी अनुमति मिल गयी है. यहां उल्लेखनीय है प्रभात खबर के 20 सितंबर के अंक में इस संबंध में विस्तार से खबर प्रकाशित हुई थी.
अपनों की बाट जोह रहे हैं पुरखे
श्री श्मशान काली मंदिर ट्रस्ट ने ऐसी आत्माओं को मोक्ष दिलाने का बीड़ा उठाया है, जिनके परिजनों ने जाने या अनजाने में अस्थियों का विसर्जन नहीं किया. धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक अंतिम संस्कार के बाद अस्थियों का विसर्जन गंगा जी में किया जाता है. लेकिन, कई सालों से चास श्मशान घाट के आधा दर्जन से अधिक लोगों की अस्थियां मौजूद हैं, जिन्हें गंगा जी में प्रवाहित नहीं किया गया है. मतलब, चास श्मशान घाट पर पुरखे अपनों की बाट जोह रहे हैं. संतान की भलाई में जीवन लगा दिया. बुढ़ापा क्या आया, बच्चों की बेरुखी शुरू हो गयी. सोचा जीते जी ना सही मौत के बाद तो अपनों के हाथों मोक्ष मिलेगा. मगर, कई परिवार ऐसे हैं, जिन्होंने अपने बुजुर्गों की अस्थियों से भी मुंह मोड़ लिया है, जो कई सालों से यहां पड़ी हैं.
अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां लेने नहीं पहुंचे परिजन
हिंदू परंपरा के अनुसार, व्यक्ति की मौत होने के बाद उसकी अस्थियों को जल में प्रवाहित करने से मृत व्यक्ति की आत्मा को शांति मिलती है. जहां अस्थियां रखवाई जाती है, वहां हर दिन संख्या बढ़ती जा रही है. रख-रखाव की अलग व्यवस्था अस्थियों की बढ़ती संख्या से चिंता बनी हुई है. कई लोगों के परिजन अंतिम संस्कार के बाद अस्थियां लेने ही नहीं पहुंचे, जिसके कारण यह स्थितियां बनी है. लोग अपने परिजनों की अस्थियों को श्मशान घाट में ही छोड़ जाते हैं. श्मशान घाट में मृतकों को मोक्ष नहीं मिल पाता. इसलिये श्री श्मशान काली मंदिर ट्रस्ट समिति ने डीसी बोकारो को सोमवार को पत्र लिखकर श्मशान घाट में वर्षों से रखे अस्थि कलश को किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करने का आदेश मांगा, जो सोमवार को हीं मिल गया.उपायुक्त का जताया आभार
श्री श्मशान काली मंदिर ट्रस्ट समिति के सदस्य गोपाल मुरारका ने कहा कि श्री श्मशान काली मंदिर ट्रस्ट समिति द्वारा चास श्मशानघाट को वर्षों से संचालित किया जा रहा है. यहां अंतिम संस्कार के बाद मृतकों के परिजनों द्वारा उनकी अस्थि कलश रखने की व्यवस्था रहती है, जहां से मृतक के परिजन दो से तीन दिनों के बाद लेकर उसे किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर मृत आत्म की मोक्ष की कामना करते हैं. लेकिन, कई लोग अपने परिजनों का अंतिम संस्कार के बाद उनकी अस्थि कलश श्मशान घाट में रखवा कर चले गये है. डीसी को अस्थियों की मोक्ष की पहल के लिये आभार.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

