बोकारो, सेक्टर चार सिटी सेंटर स्थित मुस्कान अस्पताल में बुधवार को मोतियाबिंद जागरूकता माह के समापन पर ‘40 की उम्र के बाद आंखों की जांच जरूरी’ पर कार्यशाला का आयोजन हुआ. उद्घाटन नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ जाहिद अली सिद्दीकी व शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ मनोज श्रीवास्तव ने किया. डॉ सिद्दीकी ने कहा कि शरीर का सबसे नाजुक व महत्वपूर्ण हिस्सा आंख है. लोग आंख के प्रति संवदेनशील नहीं है. लापरवाही के कारण आंखों की परेशानी बढ़ती जाती है. 40 की उम्र के बाद आंखों की जांच हर हाल में करायें. मोतियाबिंद आंखों के गंभीर बीमारी में से एक है. जब आंखों में परेशानी शुरू होती है, तो लोक चिकित्सक के पास नहीं जाते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए. डॉ मनोज ने कहा कि मोतियाबिंद आंखों की रोशनी को नष्ट करती है. अत्याधुनिक तकनीकों ने मोतियाबिंद के ऑपरेशन को आसान बना दिया है. भारत में 90 लाख से एक करोड़ 20 लाख लोग दोनों आंखों से नेत्रहीन है. देश में हर साल मोतियाबिंद के 20 लाख नये मामले आते हैं. 62.6 प्रतिशत नेत्रहीनता का कारण मोतियाबिंद है. वर्ष 2003 से लगातार देश में मोतियाबिंद के कारण होने वाली नेत्रहीनता में 25 प्रतिशत की कमी आयी है.
क्या है प्रमुख कारण
नेत्र सहायक राजा ने कहा कि मोतियाबिंद के प्रमुख कारणों में उम्र का बढ़ना, डायबिटीज होना, शराब का सेवन, सूर्य के प्रकाश का एक्सपोजर, मोतियाबिंद का पारिवारिक इतिहास, उच्च रक्तचाप का होना, मोटापा का होना, आंखों में चोट लगना, आंखों में सूजन का होना, लंबे समय तक दवा का इस्तेमाल, धुम्रपान का अधिक उपयोग प्रमुख है. नेत्र सहायक चंद्रिका ने कहा कि मोतियाबिंद के लक्षणों में दृष्टि में धुंधलापन या अस्पष्टता, बुजुर्गों में निकट दृष्टि दोष में निरंतर बढ़ोतरी, रंगों को देखने की क्षमता में बदलाव, रात में ड्राइविंग में दिक्कत आना, दिन के समय आंखों का चैंधियाना, दोहरी दृष्टि (डबल विजन) की समस्या, चश्मे के नंबर में अचानक बदलाव आना प्रमुख है. मौके पर अस्पताल से जुड़े चिकित्सक व स्वास्थ्यकर्मी के अलावे दर्जनों मरीज मौजूद थे.
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