बोकारो: छात्र जीवन आगामी जीवन में आने वाली कठिनाइयों का मुकाबला करने का प्रशिक्षण काल है. शायद इसी पृष्ठभूमि में अब्राहम लिंकन ने अपने पुत्र के शिक्षक को संबोधित एक पत्र में लिखा था : ‘टीच हिम टू लर्न टू लूज एंड ऑल्सो टू एंजॉय विनिंग’. हारना सीख कर ही वास्तविक रूप से जीत का आनंद उठाना संभव है.
भविष्य की उलझनों को सुलझाने का तरीका सीखने का काल है. साधना की यही पीठिका उसके सफल जीवन की आधारशिला तैयार करती है. चार आश्रमों में प्रथम आश्रम ब्रह्मचर्य का है, जो बाल्यावस्था से प्रारंभ हो जाता है. इसका सीधा संबंध विद्यार्थी के जीवन से है. शास्त्र विद्यार्थी में पांच गुणों का होना जरूरी मानते हैं- काक चेष्टा, बको ध्यानम्, स्वान निद्रा तथैव च, अल्पाहारी, गृहत्यागी विद्यार्थिनां पंच लक्षणम्.
विद्याध्ययन में सफलता के द्योतक : पांच गुण विद्याध्ययन में सफलता के द्योतक हैं. इन्हीं के साथ ही कुछ अन्य गुणों का होना भी अपेक्षित है. विद्यार्थी का वैयक्तिक, सामाजिक और नैतिक आचरण किसी समाज या राष्ट्र के जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. विद्यार्थी का सदाचारी और संयमी होना, आज्ञाकारी होना, उसमें शील और नम्रता होना, अक्रोधी होना, परिस्थिति के अनुकूल अपने आपको ढालना, उसे गुरु जनों, वरिष्ठजनों और समाज का प्रिय बनाता है. आदर्श विद्यार्थी स्कूल व घर दोनों जगहों पर सम्मान पाता है.