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25 लाख के इनामी नक्‍सली समर दा सहित कई नक्‍सलियों के परिजनों ने किया मतदान

संवाददाता, बेरमो-ऊपरघाट डुमरी विधानसभा के अति उग्रवाद प्रभावित नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट में माओवादी नेता समर दा, चिराग उर्फ प्रमोद व शंकर उर्फ जीतू महतो के परिजनों ने पूरे उत्साह के साथ सोमवार को लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होकर मतदान किया. 25 लाख रुपये के इनामी माओवादी नेता समर दा 12 साल की उम्र […]

संवाददाता, बेरमो-ऊपरघाट

डुमरी विधानसभा के अति उग्रवाद प्रभावित नावाडीह प्रखंड के ऊपरघाट में माओवादी नेता समर दा, चिराग उर्फ प्रमोद व शंकर उर्फ जीतू महतो के परिजनों ने पूरे उत्साह के साथ सोमवार को लोकतंत्र के महापर्व में शामिल होकर मतदान किया. 25 लाख रुपये के इनामी माओवादी नेता समर दा 12 साल की उम्र में ही नक्सल आंदोलन में कूद गया था. वर्तमान में समर दा उर्फ अनमोल दा उर्फ लालचंद हेम्ब्रम झारखंड, बिहार व ओडिशा की संयुक्त कमेटी का शीर्षस्थ माओवादी नेता है.

इसके अलावे समर दा ओडिशा एसडीएस (संबलपुर-देवनगर-सुंदरगंढ) डिवीजन का प्रभारी है. सोमवार को चौथे चरण के विधानसभा चुनाव को लेकर उनके परिजनों में खासा उत्साह देखा गया. सुबह आठ बजे समर दा की 86 वर्षीय मां झुमी देवी, बेवा भाभी सुनीता देवी, भतीजा सुनील हेम्ब्रम, जितेंद्र हेम्ब्रम, मोहन हेम्ब्रम व चाचा देवी उर्फ बोदो मांझी ने लगभग पांच किलोमीटर पैदल चलकर बंशी गांव स्थित बूथ नंबर 212 में घंटों कतार में खड़े होकर वोट डाले.

ना चेहरे में किसी तरह की सिकन थी और ना ही भय. समर दा के तीनों भतीजे पहली बार लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लेकर गर्व महसूस कर रहे थे. चेहरे पर खुशी साफ झलक रही थी. हालांकि परिजनों व ग्रामीणों में गांव में सड़क व पेयजल समस्या से रोष है.

नक्‍सली चिराग उर्फ प्रमोद के पिता, मां, भाई व भाई की पत्‍नी ने किया मतदान

बिहार-झारखंड के मोस्ट वांटेड नक्‍सली चिराग उर्फ प्रमोद उर्फ रामचंद्र महतो दसवीं की परीक्षा में असफल होने के बाद नक्सली बन गया था. एक समय ऐसा भी था कि बिहार-झारखंड में इसकी तूती बोलती थी. बगोदर के माले विधायक महेंद्र सिंह की हत्या में नाम आने के बाद वह सुर्खियों में आया. सीबीआई ढूंढ़ती रही, मगर उसके करीब नही पहुंच पायी.

2015 में बिहार के जमुई स्थित खिजुरवा पहाड़ जंगल में सीआरपीएफ के साथ हुई मुठभेड़ में वह मारा गया. बिहार से लेकर झारखंड के 24 थानों के पुलिस ने स्कॉर्ट कर उनका शव पिपराडीह गांव पहुंचाया था. सोमवार को उनके परिजनों में पिता फागुन महतो, मां, भाई धानेश्वर महतो व भाई की पत्‍नी गिरीबाला देवी ने पिपराडीह मवि स्कूल स्थित बूथ नंबर 226 में मतदान किया.

नक्‍सली शंकर उर्फ जीतू महतो की पत्‍नी सीता देवी ने किया मतदान

कंजकिरो पंचायत स्थित पिपराडीह गांव के टैहरवासीरी टोला में अपने मामा के घर में रहकर राज मिस्त्री का काम कर एक समय गुजर बसर करने वाले शंकर उर्फ जीतू महतो नक्सली किशन दा से प्रभावित होकर नक्सली बना था. माओवादियों के घटक संगठन क्रांतिकारी किसान कमेटि से जुड़कर माओवादी सब जोनल कंमाडर रहते हुए गिरीडीह जिला के चंदौली जंगल में पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारा गया था.

जीतू महतो के बच्‍चों में दो बेटी व एक बेटा है. बेटा काम करने दूसरे प्रदेश गया है. सोमवार को उनकी पत्‍नी सीता देवी ने गांव की अन्य महिलाओं के साथ पिपराडीह मवि स्कूल के बूथ नंबर 227 में मतदान किया.

Prabhat Khabar Digital Desk
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