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आजादी के 70 साल बाद भी नहीं हुआ बिजली से रोशन
बोकारो : जब बच्चा लोग को रिश्तेदार के घर ले जाते हैं, तो वहां टीवी देखकर बहुत खुश होता है. वहां से आने से मना करता है. मुखौटा वाला सीरियल (कार्टून) देखकर खूबे खुश होता है, वापस आने के बाद दो-तीन दिन तक उस सीरियल के बारे में बात करता है… इस तरह अपनी बेबसी […]
बोकारो : जब बच्चा लोग को रिश्तेदार के घर ले जाते हैं, तो वहां टीवी देखकर बहुत खुश होता है. वहां से आने से मना करता है. मुखौटा वाला सीरियल (कार्टून) देखकर खूबे खुश होता है, वापस आने के बाद दो-तीन दिन तक उस सीरियल के बारे में बात करता है… इस तरह अपनी बेबसी को बताया चिमनागोढ़ा टोला के लोगों ने. चिमनागोढ़ा करहिरया गांव व करहरिया पंचायत का टोला, जिसे आजादी के सात दशक बीत जाने के बाद भी बिजली नसीब नहीं हुई.
चास अनुमंडल व बेरमो अनुमंडल के बीच जंक्शन का काम करने वाली जैनामोड़ की परछाई इतनी दूरी पर स्थित है चिमनागोढ़ा टोला. जरीडीह प्रखंड से मात्र 1.5 किमी की दूरी पर बसे टोला में बिजली के साथ-साथ अन्य बुनियादी सुविधा की भी कमी है. टोला को अन्य गांव से जोड़ने के लिए पक्की सड़क भी नसीब है. प्रखंड कार्यालय से 100 मीटर बायां जाने के बाद मिट्टी की उबड़-खाबड़ सड़क ही टोला तक पहुंचाती है. टोला में 25 परिवार के करीब 150 लोग रहते हैं.
एक सड़क बनी, वह भी बिना काम की : चिमनागोढ़ा टोला को सड़क मार्ग से जोड़ने के लिए सूरजपुर गांव से कनेक्टर सड़क बनायी गयी. प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तहत 1600 मीटर कालीकरण सड़क बनावने का ड्राफ्ट पास किया गया. लेकिन, ठेकेदार ने 1457 मीटर ही सड़क बनायी. इस सड़क के बीच में दूचंद जोरिया पड़ती है. इस पर पुल नहीं है. इस कारण इस सड़क का कोई लाभ नहीं है. इसके अलावा गांव को मुख्य मार्ग से जोड़ने के लिए कोई भी पक्की सड़क नहीं है.
कृषि पर निर्भर है टोला : चिमनागोढ़ा टोला में घटवार जाति के लोग रहते हैं. 22 मार्च 1930 को गुरुदयाल सिंह ने ऑक्शन के जरिये जमीन ली थी. उस समय से लोग यहां रह रहे हैं. ग्रामीण मुख्य रूप से कृषि पर निर्भर हैं. सुविधा के अभाव में भी सब्जी उत्पादन करते हैं. शिक्षा के लिए बच्चों को दो किमी दूर करहरिया गांव या बुचुंगडीह बस्ती जाना पड़ता है. हालांकि गांव में स्वच्छ भारत मिशन के तहत दर्जनों शौचालय बन गये हैं. साथ ही उज्ज्वला योजना के तहत गैस कनेक्शन का सर्वे भी हुआ है. पेयजल के लिए सिर्फ एक ही चापाकल है.
बिना पानी व बिजली के जल अवच्छादन : चिमनागोढ़ा सिर्फ सड़क के नाम पर ही नहीं, बल्कि अन्य योजनाओं के नाम पर भी ठगा गया है. 2014 में टोला में कृषि विभाग की ओर से जल अवच्छादन कार्यक्रम के तहत सिंचाई की योजना तैयार हुई. दूचंद जोरिया पर चैकडेम बना दिया गया. चेकडैम ऐसा कि बरसात का पानी भी संग्रह नहीं कर पाये. साथ ही खेत में सिंचाई के लिए पाइप दौड़ा दिया गया. साथ ही एक कुआं में दो छोटी टंकी बैठा दिया गया. लेकिन, बुनियादी बिजली के बारे में कुछ नहीं किया गया. नतीजा जल अवच्छादन की योजना धरी की धरी रह गयी.
… तो बदलेगी गांव की किस्मत : टोला की किस्मत बदलने वाली है. आखिरकार सरकार की नजर टोला पर पड़ी है. बोकारो विधायक बिरंची नारायण की पहल पर टोला में बिजली पहुंचने की उम्मीद जगी है. दीन दयाल ग्रामीण विद्युत योजना के तहत टोला के लिए बिजली कनेक्शन का सर्वे काम हो गया है. करहरिया गांव से बिजली कनेक्शन देने की बात हो रही है. शुरुआती दौर का काम भी शुरू हो गया है. अधिकारियों की माने तो एक माह के अंदर गांव में बिजली पहुंच जायेगी.
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