कई विस्थापित खिचड़ी पका कर वहां खा रहे हैं. विस्थापितों ने कहा कि प्रबंधन द्वारा हरिजन आदिवासी का घर तोड़ कर क्षतिपूर्ति देने में टालमटोल किया गया, लेकिन अब नहीं मानेंगे. हम अपना हक लेकर रहेंगे. हैवी ब्लास्टिंग के कारण विस्थापित दहशत में जी रहे हैं. ब्लास्टिंग से पूर्व में एक महिला की मौत हो गयी थी. इसलिए प्रबंधन सारी सुविधाओं के साथ पुनर्वास की व्यवस्था करे. विरोध करने वाले विस्थापितों में त्रिलोकी सिंह, बासुदेव तुरी, नरेश वर्णवाल, शिव वर्णवाल, धनेश्वर तुरी, बिनोद तुरी, भीम महतो, लालमोहन यादव, सुनील सिंह, मोहन महतो, सुनिल सिंह, अजय दूबे, नागेश्वर तुरी, राजेश गुप्ता, आशीष गुप्ता, रघु तांती, लखन महतो, श्याम कुमार ताराचंद, श्याम कुमार, राजकुमार आदि शामिल हैं.
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सीसीएल ढोरी प्रक्षेत्र: बंद पुरनाटांड़ खदान को चालू करने का मामला, सर्वे का काम शुरू, विरोध में जुटे विस्थापित
फुसरो: सीसीएल ढोरी प्रक्षेत्र अंतर्गत बंद पुरनाटांड खदान को चालू करने को लेकर प्रबंधन ने बुधवार से सर्वे का काम शुरू कर दिया. इधर, विस्थापित भी नौकरी, मुआवजा व पुनर्वास देने की मांग को लेकर अपनी-अपनी जमीन पर बैठ गये हैं. पुरनाटांड के विस्थापितों ने प्रबंधन का विरोध करते हुए कहा कि जब तक नियोजन, […]
फुसरो: सीसीएल ढोरी प्रक्षेत्र अंतर्गत बंद पुरनाटांड खदान को चालू करने को लेकर प्रबंधन ने बुधवार से सर्वे का काम शुरू कर दिया. इधर, विस्थापित भी नौकरी, मुआवजा व पुनर्वास देने की मांग को लेकर अपनी-अपनी जमीन पर बैठ गये हैं. पुरनाटांड के विस्थापितों ने प्रबंधन का विरोध करते हुए कहा कि जब तक नियोजन, मुआवजा व पुनर्वास नहीं मिलेगा जब तक खदान चालू नहीं करने दिया जायेगा. चाहे इसके लिए जान भी क्यों न देने पड़े.
वहीं ढोरी क्षेत्रीय प्रबंधन का कहना है कि कंपनी नियमानुसार काम किया जायेगा. सारी प्रक्रिया पूरी हो गयी है. खदान को चालू करने के लिए सर्वे का काम शुरू कर दिया गया है. विस्थापितों के मामले को लेकर जिला प्रशासन के साथ बैठक चल रही है. विस्थापितों का कोई नुकसान हो इसको लेकर कई बार विस्थापितों के साथ बैठक की गयी.
विस्थापितों ने किया था 20 नवंबर की बैठक का विरोध : विस्थापितों ने कहा कि प्रबंधन द्वारा 20 नवंबर को बुलायी गयी बैठक का विरोध किया था. इसकी सूचना प्रबंधन व स्थानीय थाना को दी गयी थी, लेकिन प्रबंधन झूठा अफवाह फैला रहा है कि विस्थापितों के मामले का समाधान हो चुका है. जमीन सत्यापन के लिए कागजात पीओ और सीओ ऑफिस में जमा किया गया है लेकिन सत्यापन नहीं किया गया. बिना अधिकार दिये प्रबंधन विस्थापितों की जमीन छीनने का प्रयास कर रहा है. प्रबंधन कभी दिन में तो कभी रात में मशीन लेकर आता है. हमें अपनी जमीन बचाने के लिए निगरानी करनी पड़ रही है.
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