चंद्रपुरा: सीटीपीएस के पुराने प्लांट के बंद होने से पूर्व प्रबंधन इस पर होने वाले खर्च की कटौती में लग गया है़ इस प्लांट के बंद होते ही इस पर होने वाले खर्च का बोझ नये प्लांट के जिम्मे आ जायेगा़ यदि खर्च में कटौती नहीं हुई तो नये प्लांट का उत्पादन लागत बढ़ जायेगी. फिलहाल नये प्लांट में उत्पादन लागत प्रति यूनिट साढ़े तीन रुपया है, जो डीवीसी के प्रोजेक्टों में सबसे बेहतर है़ प्लांट के प्रधान मुख्य अभियंता बीएन साह का कहना है कि पुराने प्लांट के खर्च में कटौती को लेकर प्रयास किये जा रहे हैं. कर्मियों व अधिकारियों का ट्रांसफर मुख्यालय स्तर से किया जायेगा़.
नवंबर में बंद होगी तीसरी यूनिट, होंगे कई बदलाव : बतातें चलें कि उत्पादन लागत अधिक होने के कारण ही पुराने प्लांट की तीन में से दो यूनिटों को प्रबंधन द्वारा बंद किया जा चुका है. तीसरी यूनिट को नवंबर माह में बंद कर देने का आदेश मुख्यालय से हो चुका है़ इस प्लांट में 700 से अधिक स्थायी कर्मचारी व अधिकारी कार्यरत है़ं 450 सप्लाई मजदूर स्थायी प्रवृत्ति के कार्य में लगे हैं. लगभग 250 ठेका मजदूर भी हैं. इन सभी का वेतन पुराने प्लांट हेड से ही हो रहा है़ बताया जाता है कि आने वाले तीन महीनों में लगभग 500 स्थायी कर्मियों व अधिकारियों को दूसरे प्लांटों में ट्रांसफर किया जायेगा़ नये प्लांट में मुश्किल से 400 स्थायी कर्मी व अधिकारी ही नये नियमानुसार रखे जा सकते हैं. 20 जुलाई को डीवीसी चेयरमैन के साथ यहां हुई मीटिंग में भी खर्च कम करने पर चर्चा हो चुकी है़ कहा गया कि नये प्लांट में मापदंड के हिसाब से स्थायी कर्मी व अधिकारी रहे़ अधिकांश कामों में सप्लाई मजदूरों को लगाने, निविदा के कार्यों को समाप्त करने सहित सीआइएसएफ, डीवीसी अस्पताल, प्रशासनिक व एकाउंट्स विभाग सहित स्कूल के मद में खर्चों पर अंकुश लगाने जैसे उपायों पर भी चर्चा की जा रही है़ सीएसआर के मद की राशि को दूसरे मद में लगाने की भी योजना संभावित है़.
पुराने प्लांट को बंद करना जरूरी : लैंगस्टे
डीवीसी चेयरमैन एडब्ल्यूके लैंगस्टे ने प्रभात खबर से बातचीत में कहा कि पुराने प्लांट बंद किये बगैर डीवीसी की बेहतरी नहीं हो सकती है. यह निर्णय कड़ा जरूर है, मगर जरूरी है़ बाजार में बने रहने के लिए उत्पादन लागत को कम करना होगा. अधिक लागत पर बिजली उत्पादन कर हम बाजार में टिके नहीं रह सकते़ इसे सभी को समझना होगा़