II दशमथ सोरेन II
रांची: संताली भाषा में कई ऐसे गाने हैं जिसे सुनते ही आप भाव-विभोर हो जायेंगे. माटी और संस्कृति से जुड़े गाने वैसे भी लोगों को अपनी ओर खींचते हैं. इस क्रम में संताली के एक एलबम का खूबसूरत गाना है जिसमें में अपनी माटी से प्रेम का फिल्मांकन किया गया है. इसमें गांव के एक देहाती युवक को शहर से आयी एक युवती को देखकर प्रेम हो जाता है. वह उस युवती से कहता है, मैं तो गांव का ठेठ देहाती युवक-तुम हो शहरी की बाला, तुम्हारा और मेरा रिश्ता भला कैसा होगा.
इसपर युवती कहती है- मैं भले शहरी की रहने वाली बाला हूं. शहर में नौकरी-चाकरी करती हूं. लेकिन मेरा बचपन इन्हीं गांव में धूल पर खेलकर गुजरा हुआ. इन्हीं धूल कण पर खेलकर बडी हुई हू. इसलिए मेरा तन, मन व यादें गांव में बसा है. मैं गांव से अथाह प्रेम करती हू. भले तुम गांव के ठेठ देहाती हो, लेकिन तुम मुझे बहुत प्यारे हो.
युवक कहता है -तुम तो हिंदी, बांग्ला और विदेशी भाषा बोलती हो, तुम्हारा और मेरा संसार ऐसे में कैसे बसेगा. मैं तो अपनी मातृभाषा के अलावे दूसरा कोई भी भाषा बोलने भी नहीं जानता हू. तुम्हारे और मेरे रास्ते तो काफी जुदा-जुदा है.
युवती कहती है- बाकी भाषा को छोडो हमारे संसार को आगे बढाने के लिए हमारा मातृभाषा ही काफी है. तुम मुझे सदा अपने मन मंदिर में बसा कर रखो बस यही एक तमन्ना है.
https://www.youtube.com/watch?v=PJqSei0JhRs