रांची: पांच दिनों तक गर्भगृह में रहने के बाद शनिवार को भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा तथा भाई बलराम का वैदिक मंत्रोच्चरण के साथ नेत्रदान हुआ. नेत्रदान के लिए तीनों विग्रहों को शाम साढ़े चार बजे बाहर निकाला गया.
शाम पांच बजे मंगल आरती हुई और प्रधान पुजारी जगदीश मोहंती के नेतृत्व में अन्य पुजारियों ने तीनों विग्रहों की आंखें खोलीं. इसके बाद भगवान के दर्शन श्रद्धालु के लिए सर्वसुलभ हो गये. भगवान के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी.
श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए दो द्वारा बनाये गये हैं. महिलाओं का प्रवेश गेट के बाई तरफ से और पुरुषों का प्रवेश दाईं तरफ से कराया गया. ठीक इसी प्रकार भगवान के दर्शन करने के बाद महिलाएं मंदिर के दक्षिण की ओर से तथा पुरुष पश्चिम की ओर से बाहर निकले. श्रद्धालुओं ने रात साढ़े नौ बजे तक भगवान के दर्शन किये. इसके बाद विग्रहों की दैनिक आरती की गयी. आरती के बाद तीनों विग्रहों को रात 10 बजे गर्भगृह में रख दिया गया. रविवार को सुबह चार बजे भगवान को दैनिक भोग लगाया जायेगा. इसके बाद भगवान सुबह पांच बजे से सर्व दर्शन के लिए सुलभ होंगे. ये दर्शन अपराह्न् दो बजे तक चलेंगे. इसके बाद तीनों विग्रहों को रथारूढ़ किया जायेगा.
रथ पर ही तीनों विग्रहों का श्रृंगार किया जायेगा. रथ यात्रा से पहले भगवान के सहस्रनाम का जाप किया जायेगा. इसमें सभी लोग भाग ले सकते हैं, लेकिन शर्त यह होगी कि वह केवल धोती पहन कर ही हिस्सा ले सकते हैं. इसके बाद भगवान का रथ मौसीबाड़ी के लिए रवाना होगा.