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झारखंड : दस्ते से मुक्त करायी गयी किशोरी नक्सली, किया जाता था यौन शोषण

जीवन कंडुलना और दस्ते के सदस्य जबरन बनाते थे किशोरी से संबंध चाईबासा : पोड़ाहाट के जंगलों में सक्रिय माओवादी जोनल कमांडर जीवन कंडुलना के दस्ते में नौ महीने से काम कर रही नाबालिग नक्सली को पुलिस रेस्क्यू कर छुड़ाने में सफल रही. मंगलवार को एसपी अनीश गुप्ता ने उसे मीडिया के सामने पेश किया […]

जीवन कंडुलना और दस्ते के सदस्य जबरन बनाते थे किशोरी से संबंध
चाईबासा : पोड़ाहाट के जंगलों में सक्रिय माओवादी जोनल कमांडर जीवन कंडुलना के दस्ते में नौ महीने से काम कर रही नाबालिग नक्सली को पुलिस रेस्क्यू कर छुड़ाने में सफल रही. मंगलवार को एसपी अनीश गुप्ता ने उसे मीडिया के सामने पेश किया और बताया कि लड़की के साथ जीवन और दस्ते के अन्य सदस्य राइफल की नोक पर शारीरिक संबंध बनाते थे.
एसपी ने बताया कि इस 13 साल की लड़की के साथ दस्ते का मुखिया जीवन कंडुलना तो जबरन शारीरिक संबंध बनाता ही था, दस्ते के अन्य सदस्य रामबीर, कालिया व सूर्या ने भी रायफल का भय दिखा कर उससे जबरन संबंध बनाये. इतना ही नहीं, उसे भूखा रखा जाता था तथा जूठे बर्तन मांजने, खाना पकाने, कपड़े धोने आदि काम करवाया जाता था. नाबालिग ने बताया कि जीवन कंडुलना दस्ते में कुल 11 सदस्य हैं, जो पोड़ाहाट के जोगोबेड़ा, जोजोगड़ा, रायबेड़ा, सेरेंगदा आदि क्षेत्र में रहते हैं तथा सरकार द्वारा चलाये जा रहे विकास कार्यों को बाधित करते हैं.
लड़की के बयान पर महिला थाने में नक्सली जीवन कंडुलना, रामबीर, कालिया, सूर्या समेत अन्यों के खिलाफ पोक्सो एक्ट, दुष्कर्म व नक्सली धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है.
एसपी ने बताया कि कराईकेला थाना अंतर्गत इंद्रवां गांव की रहनेवाली उक्त नाबालिग 26 जनवरी के दिन सुईमारी गांव के डोगोबेड़ा जंगल में हुई मुठभेड़ के दौरान नक्सलियों के चंगुल से छूट कर भागी थी. वह अपने गांव में नानी के पास चली आयी थी. इसकी जानकारी होने पर पुलिस ने उसे रेस्क्यू किया, ताकि दस्ता उसे जबरन दोबारा अपने साथ न ले जा सके.
एसपी ने पत्रकारों के बताया कि पुनर्वास के लिए तत्काल 10 हजार रुपये दिये गये हैं नाबालिग की नानी को सहयोग दिया जायेगा. लड़की को कस्तूरबा स्कूल में भर्ती कराया जायेगा. इसके लिये उन्होंने उपायुक्त अरवा राजकमल से बात की है तथा उन्होंने इसकी मंजूरी भी दे दी है.
सभी दस्तों में लड़कियों की यही कहानी
पुलिस के अनुसार मुक्त करायी गयी नाबालिग ने बताया है कि दस्ते में लेने से पूर्व उसे कई सब्जबाग दिखाये गये थे लेकिन वहां सिर्फ शोषण किया जाता रहा. लड़की ने बताया है कि जीवन के अलावा संदीप दा तथा महाराजा प्रमाणिक के दस्ते में भी इसी तरह कई नाबालिग व बालिग लड़कियां हैं जिनका शारीरिक व अन्य प्रकार से शोषण किया जा रहा है.
मां की मौत और पिता की दूसरी शादी से चाचा को मिला मौका
लड़की ने बताया कि उसकी मां की मौत हो चुकी है जिसके बाद उसके पिता ने दूसरी शादी कर ली तो वह गांव में अपनी नानी के यहां रहने लगी थी. इसी मौके का फायदा उठाकर पिछले साल जून में उसके रिश्ते के चाचा झुपु गागराई ने उसे जबरन दस्ते में भिजवा दिया. झुपु ने यह काम डर के कारण किया या पैसे के लालच में, यह अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है.

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