पटना: बॉलीवुड के एक फिल्म में दिग्गज सिनेमा कलाकार शाहरुख खान का एक मशहूर डायलॉग है. पिक्चर अभी बांकी है मेरे दोस्त… यह लाइन वर्तमान में बिहार की सियासत पर बिल्कुल सटीक बैठता है. दरअसल, बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद अब बारी नए विधानसभा अध्यक्ष चुनने की है. माना जा रहा है कि 24 अगस्त को विधानसभा के नए अध्यक्ष के चुनाव पर चर्चा हो सकती है. इन सब के बीच विजय कुमार सिन्हा के नए बयान से बिहार की सियासत में फिर से भूचाल आ गया है.
बिहार विधानसभा के अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा ने ऐलान किया कि वह इस्तीफा नहीं देंगे. उन्होंने महागठबंधन की ओर से लाए गए अविश्वास प्रस्ताव को नियम के विरुद्ध करार दिया. विजय कुमार सिन्हा के इस बयान से बिहार में एकबार फिर से सियासी भूचाल आ गया है. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि बिहार का सियासी ड्रामा अभी खत्म नहीं हुआ है. यानी पिक्चर अभी बांकी है मेरे दोस्त !
विजय सिन्हा का अगला कदम क्या होगा इस पर कुछ भी खुलासा नहीं कहा जा सकता है. लेकिन इस मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के नेता तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि विधानसभा की नियमावली में जो प्रावधान है उसका पालन किया जाएगा. नियमावली में सभी बातें स्पष्ट लिखी हुई हैं. बता दें कि विजय सिन्हा यदि मंगलवार (23 अगस्त) को इस्तीफा दे देते हैं या फिर 24 को अविश्वास का सदन में सामना करते हैं, दोनों में से जो भी स्थिति सामने आए लेकिन एक बात साफ है कि विधानसभा का नया अध्यक्ष 24 अगस्त को आहूत एक दिवसीय सत्र में नहीं मिलेगा. अगर विजय सिन्हा 23 को इस्तीफा देते हैं तो यह निर्वाचन 25 को और यदि 24 को बहुमत से हटाए जाते हैं तो नया अध्यक्ष 26 को निर्वाचित किया जा सकता है. ऐसी स्थिति में विधानसभा का सत्र एक या दो दिन बढ़ सकता है. सत्र नहीं बढ़ाया गया तो यह निर्वाचन अगले सत्र तक भी जा सकता है.
बता दें कि बिहार में सत्ता परिवर्तन के अगले दिन यानी 10 अगस्त को विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के खिलाफ महागठबंधन के विधायकों ने अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) लाया था. उनकी मांग है कि विजय सिन्हा अपने पद से इस्तीफा दें, लेकिन विधानसभा अध्यक्ष के तेवर से साफ हैं वो इस्तीफे के लिए खुद से पहल नहीं करने जा रहे हैं.
गौरतलब है कि नई सरकार को विश्वास मत हासिल करने के लिए 24 अगस्त को विधानसभा की बैठक सुबह 11 बजे से बुलाई गई है. इस एक दिवसीय सत्र की कार्ययोजना मौजूदा अध्यक्ष को ही बनानी है. विधानसभा में दो ही कार्य किये जाने हैं. पहला सरकार का बहुमत हासिल करना और दूसरा अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर मतदान. अभी यह भी सस्पेंस है कि इनमें से पहला कार्य कौन होगा और दूसरा कौन सा.
बताते चलें कि बिहार के संसदीय इतिहास में पहला मौका होगा जब विधानसभा अध्यक्ष को सत्ता पक्ष के अविश्वास का सामना करना पड़ेगा. विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा अगर त्यागपत्र नहीं देते हैं तो वे दो इतिहास बनाएंगे. पहला उन्हें 24 अगस्त को सदन में अध्यक्ष के रूप में सत्ता पक्ष का सामना करना होगा और दूसरा बिहार विधानसभा में पहली बार किसी अध्यक्ष को अविश्वास प्रस्ताव के माध्यम से हटना पड़ेगा.