हाजीपुर : पूर्व मध्य रेल मुख्यालय के वैशाली प्रेक्षागृह में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् विदेश मंत्रालय और पूर्व मध्य रेल के राजभाषा विभाग के तत्वावधान में आयोजित मुशायरा कवि सम्मेलन में बिहार और उत्तर प्रदेश के कवियों ने खूब रंग जमाया. कुछ कवियों ने राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत रचनाएं सुनाईं तो कुछ ने हास्य कविताओं के माध्यम से श्रोताओं को गुदगुदाया. गीतकारों ने गीतों के माध्यम से प्रेम की वर्षा की तो दूसरों ने व्यंग्य के बाण चलाते हुए श्रोताओं को समसामयिक मुद्दों पर जगाया.
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”हो कंठ, उसे गान मिले, और कुछ नहीं’
हाजीपुर : पूर्व मध्य रेल मुख्यालय के वैशाली प्रेक्षागृह में भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् विदेश मंत्रालय और पूर्व मध्य रेल के राजभाषा विभाग के तत्वावधान में आयोजित मुशायरा कवि सम्मेलन में बिहार और उत्तर प्रदेश के कवियों ने खूब रंग जमाया. कुछ कवियों ने राष्ट्रभक्ति से ओतप्रोत रचनाएं सुनाईं तो कुछ ने हास्य कविताओं के […]
कवि सम्मेलन का उद्घाटन पूर्व मध्य रेल के महाप्रबंधक ललित चंद्र त्रिवेदी, अपर महाप्रबंधक एके शर्मा और मुख्य राजभाषा अधिकारी और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् के क्षेत्रीय निदेशक प्रवीण मोहन सहाय ने किया. महाप्रबंधक ने कहा कि जीवन की आपाधापी और रेल के व्यस्त जीवन में कुछ सुकून के पल भी मिल जायें तो फिर एक नई उर्जा के साथ हम तरोताजा हो फिर से अपने काम में जुट जाते हैं.
कविता या शेरो-शायरी मुरझाये हुए फूलों में रंग भर देते हैं, निराश जीवन में उमंग भर देते हैं. भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के क्षेत्रीय निदेशक प्रवीण मोहन सहाय ने महाप्रबंधक श्री त्रिवेदी का खास तौर पर धन्यवाद देते हुए कहा कि इनके मार्गदर्शन में न सिर्फ रेल की समग्र व्यवस्था सुधर रही है बल्कि साहित्य और संस्कृति का भी विकास हो रहा है.
उन्होंने इस तरह के कार्यक्रम के आयोजन पर रेल प्रशासन के सहयोग की भूरी-भूरी प्रशंसा की. कवि सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि मृत्युंजय मिश्र करूणेश ने हो कंठ, उसे गान मिले, और कुछ नहीं, उस गान को भी प्राण मिले, और कुछ नहीं… अद्भुत समा बांधा. हास्य व्यंग्य के प्रसिद्ध कवि फजीहत गहमरी ने अपनी हास्य व्यंग्य की कविताओं से राजनीति सहित कई विषयों पर खूब कटाक्ष किया.
कवि सम्मेलन का संचालन कर रहे वरिष्ठ ईडीपीएम अशोक कुमार ने हाजीर जवाबी और चुटीले अंदाज से कवि सम्मेलन को नई ऊंचाई प्रदान की. उन्होंने कई प्रख्यात कवियों की कविताएं अपने भारत देश का क्या होगा अंजाम, बिजली घर में हो रहा जनरेटर से काम, रबड़ी रसगुल्ला भखैं…, मुजफ्फरपुर से आयी लता सिन्हा ज्योतिर्मय ने हमको भारत की आन बचानी, हम न चलने दें मनमानी, समझौता क्यों गद्दारों से, सोच के भी होती हैरानी… से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया. अप डाउन में फंसी जिंदगी के कवि एवं उप मुख्य राजभाषा अधिकारी सह उप मुख्य वाणिज्य प्रबंधक दिलीप कुमार ने हँसो ऐसे मानो हसना जीवन की एक जरूरी शर्त है… सुनायी.
अंतर्राष्ट्रीय स्तर के हास्य व्यंग्य कवि सुनील कुमार तंग ने उसे बस राम दिखता है, उसे रहमान दिखता है, उसे गुरू ग्रंथ साहिब का लिखा फ़रमान दिखता है, मेरी आंखों में लगता है कि मोतियाबिंद है साहब, जिधर नजरें उठाता हूं उधर इन्सान दिखता है से लोगों का मनोरंजन किया. लखनऊ से आयी चर्चित शायर हिना रिजवी हैदर ने तरन्नुम में सुनाकर दर्शकों की वाहवाही लूटी. संजय मिश्र, गोपालगंज, बिहार से पधारे थे, ने इस मौके पर अपनी गजलों और गीतों से सबका मन मोह लिया.
इस अवसर पर मुख्य राजभाषा अधिकारी सह प्रधान मुख्य सामग्री प्रबंधक एनके सिन्हा ने अपने स्वरचित गीत का सस्वर पाठ कर सिद्ध कर दिया कि वे सिर्फ रेल के एक उच्चाधिकारी ही नहीं साहित्य के मर्मज्ञ भी हैं. सेंट्रल बैंक के उच्चाधिकारी एमके बजाज ने अपनी कविताएं सुनाईं. कवि सम्मेलन में प्रख्यात साहित्यकार पद्म उषा किरण खान, विदेश मंत्रालय से संलग्न हिंदी सलाहकार समिति के माननीय सदस्य वीरेंद्र कुमार यादव सहित भारी संख्या में रेल के विभिन्न विभागों के अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित थे.
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