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रोज का सड़क जाम और अतिक्रमण बन गया महुआ बाजार की पहचान

महुआ नगर : महुआ की पहचान इन दिनों अतिक्रमण और इसकी वजह से रोज लगने वाला जाम बन गया है. रोज-रोज लगने वाले इस जाम में फंस कर लोग घंटों बिलबिलाते रहते हैं. वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक पदाधिकारियों का ध्यान दिन प्रति दिन गंभीर होती इस समस्या की ओर नहीं जा रहा है. कभी-कभी प्रशासनिक […]

महुआ नगर : महुआ की पहचान इन दिनों अतिक्रमण और इसकी वजह से रोज लगने वाला जाम बन गया है. रोज-रोज लगने वाले इस जाम में फंस कर लोग घंटों बिलबिलाते रहते हैं. वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक पदाधिकारियों का ध्यान दिन प्रति दिन गंभीर होती इस समस्या की ओर नहीं जा रहा है.

कभी-कभी प्रशासनिक पदाधिकारियों की नींद इस समस्या को लेकर खुलती है तो एक-दो दिनों तक जोर-शोर से अतिक्रमण हटाओ अभियान चलाया जाता है, लेकिन बाद में स्थिति फिर पहले जैसी हो जाती है. महुआ में एक बार फिर से जाम की समस्या ने गंभीर रूप ले लिया है. भीषण गर्मी व आग उगलते आसमान के नीचे लोग घंटों जाम में फंस कर बिलबिलाते रहते हैं.
यहां जाम की समस्या कितनी गंभीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जाम लगने की स्थिति में बाजार में तैनात पुलिस के जवान भी इस कदर बेबस हो जाते हैं कि वे भी मूकदर्शक की भूमिका में आ जाते हैं. महुआ बाजार व यहां से गुजरने वाली विभिन्न सड़कों पर लगने वाले भीषण जाम का सबसे बड़ा कारण अतिक्रमण है. अतिक्रमण का आलम यह है कि दिन सड़कें इस कदर सिकुड़ जाती हैं कि बड़ी गाड़ियों को साइड देने या लेने के चक्कर में जाम लग जाता है.
कभी-कभी तो स्कूली गाड़ियां जब घंटों जाम में फंसी रहती हैं तो बच्चों के अभिभावक बेचैन होकर स्कूल संचालक के यहां फोन करने लगते हैं और जब स्कूल संचालक से जानकारी मिलती है कि गाड़ियां घंटों पहले निकल चुकी हैं तो परिजन और भी परेशान हो उठते हैं.
कार्रवाई के दो-चार दिन बाद ही पहले जैसी स्थिति
महुआ बाजार में जाम की समस्या से निबटने के लिए कई बार स्थानीय प्रशासन द्वारा कार्रवाई तो की गयी, लेकिन महज दो-चार दिन बाद ही स्थिति जस-की-तस बन गयी. महुआ के पातेपुर रोड, मुजफ्फरपुर रोड, देसरी रोड, समस्तीपुर रोड सहित अन्य सभी जगहों की कमोबेश यही स्थिति है.
यहां आये दिन लोग जाम में फंस कर घंटों परेशान होते हैं. कई बार महुआ बाजार के व्यवसायियों व सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रशासनिक पदाधिकारियों से इस समस्या का ठोस निदान करने की मांग की, लेकिन इस पर कभी गंभीरता से विचार नहीं किया गया.D

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