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सीएचसी में बदतर है इलाज की व्यवस्था

महनार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, महनार में कई आवश्यक सुविधाओं का अभाव है. यहां इलाज के लिए आनेवाले मरीज पीने के पानी को भी तरस जाते हैं. यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड करके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तो बनाया गया, लेकिन इसके अनुरूप इलाज की आवश्यक सुविधाएं नहीं बढ़ायी जा सकी. 30 बेड वाले इस सीएचसी […]

महनार सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, महनार में कई आवश्यक सुविधाओं का अभाव है. यहां इलाज के लिए आनेवाले मरीज पीने के पानी को भी तरस जाते हैं. यहां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र को अपग्रेड करके सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र तो बनाया गया, लेकिन इसके अनुरूप इलाज की आवश्यक सुविधाएं नहीं बढ़ायी जा सकी.

30 बेड वाले इस सीएचसी में स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है, जिसके कारण यहां की चिकित्सा व्यवस्था प्रभावित हो रही है. मरीजों का कहना है कि इलाज के नाम पर यहां खानापूरी की जाती है. अस्पताल में इमरजेंसी सेवा बहाल है, लेकिन कर्मियों के अभाव में चतुर्थवर्गीय कर्मचारी इमरजेंसी का काम संभालते हैं. कुव्यवस्था का नतीजा है कि इमरजेंसी में आये दिन हल्ला-हंगामा होते रहता है. अस्पताल में चिकित्सकों के चार पद स्वीकृत हैं, लेकिन एक भी पोस्टेड नहीं हैं. चार चिकित्सक कार्यरत तो हैं, परंतु सभी डेपुटेशन पर हैं. इस अस्पताल में महनार अनुमंडल के अलावा समस्तीपुर जिले से भी काफी संख्या में रोगी आते हैं.

अस्पताल के ओपीडी में प्रतिदिन लगभग 300 मरीजों का इलाज किया जाता है. इस तरह यहां हर महीने औसतन 9 हजार मरीज इलाज को पहुंचते हैं. अस्पताल में दवाएं तो उपलब्ध हैं, लेकिन दवा वितरण की व्यवस्था दुरुस्त नहीं है. मिली जानकारी के मुताबिक अस्पताल में 112 दवाएं दिये जाने का प्रावधान है. इनमें कुछ दवाओं को छोड़ कर अधिकतर दवाएं उपलब्ध हैं.

एंबुलेंस की भी सुविधा नहीं : अस्पताल के दोनों एंबुलेंस खराब पड़े हैं, जिन्हें देखने वाला कोई नहीं है. मालूम हो कि अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में कई ऐसे मरीज पहुंचते हैं, जिन्हें बेहतर इलाज के लिए तत्काल यहां से रेफर करने की आवश्यकता पड़ती है. इस हालत में एंबुलेंस काफी जरूरी होता है.

अस्पताल का दुर्भाग्य है कि यहां के दोनों एंबुलेंस बेकार पड़े हैं. आपात स्थिति में एंबुलेंस की सुविधा नहीं मिलने पर रोगियों के परिजन आक्रोशित हो जाते हैं और हंगामे पर उतर आते हैं. सीएचसी में पेयजल का भी भारी संकट है. परिसर में एक सबमर्सेबल है, जो हमेशा खराब रहता है. एक चापाकल है, वह भी लंबे समय से खराब पड़ा है. अस्पताल में लगभग एक सप्ताह से एंटी रैबीज नहीं है, जिसके कारण कुत्ते के काटे मरीजों को परेशानी उठानी पड़ रही है. ऐसे मरीज यहां आकर भटकते हैं और निराश होकर लौट जाते हैं.

पुराना भवन जर्जर, नये से टपकता है पानी : अस्पताल का पुराना भवन, जिसमें प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र स्थापित था, वर्षों से जर्जर हालत में है. कर्मियों का कहना है कि यह भवन कभी ध्वस्त हो सकता है.

मालूम हो कि भवन जर्जर होने के बाद इसके बगल में नये भवन का निर्माण किया गया, साथ ही पीएचसी को सीएचसी में अपग्रेड कर नये भवन में शिफ्ट किया गया है. नये भवन की भी हालत यह है कि एक साल के अंदर ही इसकी छत से पानी टपकने लगा है. हल्की बारिश होने पर ही इसकी छत से पानी टपकता रहता है. छत से पानी टपकने के कारण न सिर्फ मरीजों को बल्कि यहां कार्यरत कर्मियों को भी कठिनाई होती है.

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