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Tomato Flu In Bihar: बच्चों को जकड़ रहा टोमैटो फ्लू, तेज बुखार और लाल दानों से रहें सतर्क

Tomato Flu In Bihar: पटना के बड़े अस्पतालों में हाल के दिनों में बच्चों की भीड़ बढ़ गई है. तेज बुखार के साथ हाथ-पैर और मुंह पर निकल रहे लाल दाने डॉक्टरों को परेशान कर रहे हैं. इसे लेकर चिकित्सकों ने चेतावनी दी है कि माता-पिता सतर्क रहें, क्योंकि यह लक्षण हैंड-फुट-माउथ डिजीज यानी टोमैटो फ्लू के हो सकते हैं.

Tomato Flu In Bihar: बारिश के बाद संक्रमण फैलने वाली बीमारियों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है. इसी बीच पीएमसीएच, आइजीआईएमएस, एम्स और न्यू गार्डिनर रोड अस्पताल में ऐसे बच्चे आ रहे हैं जिन्हें तेज बुखार के साथ त्वचा पर लाल दाने हो रहे हैं.

बीते पांच दिनों में केवल पीएमसीएच में ही सात बच्चों को टोमैटो फ्लू के लक्षणों के साथ भर्ती कराया गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि यह बीमारी मुख्य रूप से 5 से 14 वर्ष के बच्चों में फैलती है और समय रहते ध्यान न दिया जाए तो परेशानी बढ़ सकती है.

पटना के अस्पतालों में बढ़े केस

शहर के प्रमुख अस्पतालों के शिशु रोग विभागों में रोजाना करीब 70 बच्चे ओपीडी में आ रहे हैं. इनमें से 4-5 बच्चों में तेज बुखार के साथ लाल चकत्ते और दाने देखे गए हैं. पीएमसीएच के अधीक्षक डॉ. आई.एस. ठाकुर ने बताया कि यदि पहले बच्चे को तेज बुखार हो और तीन-चार दिन बाद हथेलियों, तलवों और मुंह के आसपास लाल दाने दिखाई दें, तो यह हैंड-फुट-माउथ डिजीज यानी टोमैटो फ्लू हो सकता है.

पीएमसीएच शिशु रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. भूपेंद्र नारायण सिंह का कहना है कि बरसात के मौसम में फ्लू और अन्य वायरल संक्रमण तेजी से फैलते हैं. फिलहाल टोमैटो फ्लू के मामले बहुत अधिक नहीं हैं, लेकिन लक्षण दिखते ही सतर्क रहना जरूरी है. यह बीमारी आमतौर पर एंटेरोवायरस और कॉक्ससेकी वायरस की वजह से होती है. चिकनगुनिया फैलाने वाले वायरस से भी इसका संबंध बताया जाता है.

क्या हैं लक्षण?

चिकित्सकों के अनुसार, इस बीमारी के प्रमुख लक्षण तेज बुखार, सिरदर्द और गले में खराश, कमजोरी और भूख की कमी, जीभ और गाल के अंदर छाले, चेहरे, हथेलियों और तलवों पर लाल दाने, कमर के नीचे और आसपास के हिस्सों में लाल चकत्ते है.
डॉक्टरों के मुताबिक, इस बीमारी को टोमैटो फ्लू इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसमें बनने वाले फफोले लाल और बड़े आकार के होते हैं, जो देखने में टमाटर जैसे लगते हैं.

टोमैटो फ्लू खासतौर पर 5 से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेता है. कमजोर रोग-प्रतिरोधक क्षमता वाले बच्चे और बारिश के मौसम में लगातार भीगने वाले बच्चों में यह तेजी से फैलता है. हालांकि, यह बीमारी बड़ों में बहुत कम देखने को मिलती है.

इलाज और बचाव

डॉक्टरों का कहना है कि यह बीमारी वायरल है, इसलिए किसी एंटीबायोटिक से इसका सीधा इलाज संभव नहीं है. लक्षणों को कम करने और बच्चे को आराम देने पर जोर दिया जाता है. बुखार आने पर पैरासिटामोल जैसी दवाएं दी जाती हैं. पानी और तरल पदार्थ ज्यादा पिलाने की सलाह दी जाती है. मुंह के छालों की वजह से बच्चों को नरम और हल्का भोजन दिया जाना चाहिए. बच्चों को भीड़भाड़ वाले स्थानों से दूर रखें ताकि संक्रमण न फैले.

स्वास्थ्य विभाग अलर्ट

पटना समेत अन्य जिलों के सरकारी अस्पतालों को सतर्क कर दिया गया है. शिशु रोग विभाग में डॉक्टरों और नर्सों को लक्षणों की पहचान करने और मरीजों को तुरंत अलग वार्ड में रखने के निर्देश दिए गए हैं. अस्पतालों का कहना है कि घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन लापरवाही भी खतरनाक साबित हो सकती है.

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Pratyush Prashant
Pratyush Prashant
कंटेंट एडिटर और तीन बार लाड़ली मीडिया अवॉर्ड विजेता. जेंडर और मीडिया विषय में पीएच.डी. वर्तमान में प्रभात खबर डिजिटल की बिहार टीम में कार्यरत. डेवलपमेंट, ओरिजनल और राजनीतिक खबरों पर लेखन में विशेष रुचि. सामाजिक सरोकारों, मीडिया विमर्श और समकालीन राजनीति पर पैनी नजर. किताबें पढ़ना और वायलीन बजाना पसंद.

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