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बिहार में 30 दिनों में पीक पर पहुंच जायेगी तीसरी लहर, जानिये विशेषज्ञों ने कोरोना को क्यों कहा बेहरूपिया

इस लहर से मुख्य रूप से बच्चों और लंबी बीमारी से ग्रसित मरीजों को बचाने की जरूरत है. यह बात पटना विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ वीरेंद्र प्रसाद ने प्रभात खबर से विशेष रूप से साझा की है.

राजदेव पांडेय,पटना. कोरोना की तीसरी लहर तेज होगी. 30 दिनों में यह पीक पर पहुंच सकती है. इसके बाद इसमें गिरावट शुरू हो सकती है. हालांकि, इस लहर के न्यूनतम बिंदु पर आने में कम-से-कम ढाई से तीन माह लग सकते हैं. हालांकि, इस लहर का असर बहुत कम होगा. पिछली लहर की तुलना में यह लहर कम समय के लिए हो सकती.

इस लहर से मुख्य रूप से बच्चों और लंबी बीमारी से ग्रसित मरीजों को बचाने की जरूरत है. यह बात पटना विश्वविद्यालय के बायोटेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रोफेसर डॉ वीरेंद्र प्रसाद ने प्रभात खबर से विशेष रूप से साझा की है.

प्रो वीरेंद्र ने साफ किया कि अब तक का कोरोना संंबंधी अध्ययन बताता है कि टीकाकरण से उपजी एंटीबॉडी एक समय सीमा के बाद घटने लगती है. लिहाजा उसे बढ़ाने के लिए बूस्टर डोज की जरूरत महसूस होना तय है. दरअसल, भारत समेत दुनिया में कोरोना रोकने के लिए लगाये गये टीके आपातकालीन हैं. पांच साल के स्टेंडर्ड प्रोटोकाल से बनने वाले टीकों का हमें कम-से-कम ढाई साल और इंतजार करना होगा.

कोरोना की तीसरी लहर से सामना करने में हमारे टीके ढाल का काम कर रहे हैं. ये टीके वर्तमान संक्रमण को पूरी तरह रोकेंगे तो नहीं, लेकिन यह तय है कि अपेक्षाकृत उसके घातक असर को कम करने में पूरी तरह सक्षम हैं. वर्तमान परिदृश्य में हर्ड इम्युनिटी भी काम कर रही है.

इन्हीं दोनों वजहों से जान का जाेखिम कम देखा जा रहा है. हालांकि, इसका मतलब यह नहीं होगा कि संक्रमण रोकने के उपायों को हाशिये पर रखा जाये. डेल्टा की तुलना में ओमिक्रोन वेरिएंट कई गुना अधिक संक्रामक है.इसलिए मास्क अनिवार्य है.

गले से नीचे नहीं उतर रहा ओमिक्रोन

डॉ वीरेंद्र प्रसाद ने बताया कि कोरोना का ओमिक्रोन वैरिएंट गले के नीचे नहीं पहुंच रहा है. इसलिए इसके लक्षण ज्यादा घातक नहीं दिख रहे हैं. दरअसल, फेफड़े इस वैरिएंट से अब तक सुरक्षित देखे गये हैं. यह स्थिति केवल उन लोगों के साथ है, जो पहले से किसी लंबी बीमारी से ग्रसित नहीं है. इस बीमारी के प्रति स्थायी कवच लेने के लिए बेहद अच्छा और संतुलित भोजन लगातार खाना होगा.

कोरोना का वायरस ज्यादा बहुरुपिया

डाॅ प्रसाद ने बताया कि दूसरे वायरस की तुलना में यह वायरस तेजी से रूप बदलता है. व्यवहार भी अलग-अलग है. दरअसल, यह वायरस आरएनए से बना है. उन्होंने बताया कि माइक्रो वायरोलॉजी का इतिहास बताता है कि जिस वायरस का न्यूक्लिक एसिड जितना छोटा होगा, वह उतना ही घातक होगा. इनमें होस्ट बदलने की भी क्षमता अधिक है. कोविड का संक्रमण उस दौर में हुआ है, जिस दौर में क्लाइमेट चेंज बेहद तेजी से हो रहा है.

Prabhat Khabar News Desk
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यह प्रभात खबर का न्यूज डेस्क है। इसमें बिहार-झारखंड-ओडिशा-दिल्‍ली समेत प्रभात खबर के विशाल ग्राउंड नेटवर्क के रिपोर्ट्स के जरिए भेजी खबरों का प्रकाशन होता है।

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